संपादकीय- डॉ. आलोक रंजन पांडेय

बातों-बातों में 

प्रो. गजेंद्र पाठक से सहचर टीम की आत्मीय बातचीत

शोधार्थी

हिन्दी कथा साहित्य : बाजारवाद और उपभोक्तावाद – डॉ. कमलिनी पाणिग्राही

तुलसी की नारी चेतना – डॉ. सुनील ति‍वारी / रश्‍मि‍ पाण्‍डेय (शोधार्थी)

स्वयं प्रकाश की लोककथात्मक कहानियों में जनपक्षधरता – बीरज पाण्डेय

दक्षिण कोरिया में हिन्दी : एक सिंहावलोकन – द्विवेदी आनन्द प्रकाश शर्मा 

मुक्तिबोध की रचनाएँ: परिपूर्ण क्षणों की अपूर्ण अभिव्यक्तियाँ – सौरभ कुमार यादव

गांधी और स्त्री सम्बन्धी सवाल – डॉ. संजीव कुमार तिवारी

स्‍वातंत्र्योत्‍तर हिंदी उपन्‍यास : स्‍त्री आकांक्षा, मुक्‍ति‍ एवं वि‍द्रोह का स्‍वर – डॉ. सुनील ति‍वारी/ रजनी पांडेय (शोधार्थी)

हिंदी सिनेमा और गीत-संगीत : अटूट पहचान – डॉ. माला मिश्रा

लोकगीतों में स्त्री की दशा एवं दिशा – साक्षी सिंह

शरद सिंह के उपन्यास ‘पिछले पन्ने की औरतें‘ में उपेक्षित आदिवासी समाज का चित्रण – रक्षा रानी

उत्तर आधुनिक युवा चेतना और ‘रह गई दिशाएं इसी पार’ – सविता रानी

हिंदी कविता का समकालीन परिदृश्य –   डॉ. रूचिरा ढींगरा

समानांतर हिन्दी सिनेमा में अभिव्यक्त लोकजीवन-संस्कृति – प्रभात यादव

समकालीन मीडिया में पर्यावरण, वैश्वीकरण और भाषा : एक विवेचन – अर्चना पाठक

‘मिशन’ की मीडिया से ‘मुनाफे’ की मीडिया तक का सफ़र – राकेश कुमार दुबे

जनवादी कवि के रूप में मुक्तिबोध – बिद्या दास

सामाजिक सरोकार और मृदुला गर्ग की कहानियाँ – सुमिता त्रिपाठी

वैश्वीकरण और आदिवासी समाज – प्रदीप तिवारी

ठाकुर के काव्य में विद्रोह का स्वर – रेखा

मानस का हंस – डॉ.नयना डेलीवाला

अनुवाद की प्रेरणा : आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी – डॉ. आनन्द कुमार शुक्ल

स्वातंत्र्योत्तर वैचारिक व ललित निबंधों में भारत बोध – व्योमकांत मिश्र

वृंद की नैतिकता – सुमन कुमारी

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेजी और भाषाई पत्रकारिता की भूमिका – नृसिंह बेहेरा / प्रदोश रथ

 भारतीय संस्कृति एवं साहित्य में पर्यावरण चिंतन – प्रवीन मलिक

रस विलास में पतिता नायिकाएँ (रीतिकाल के संदर्भ में) – बबली गुर्जर

राष्ट्रीय सांस्कृतिक एकता में हिन्दी की भूमिका –  अभिनव

मानवीय संदर्भों के कविः संत रैदास – अम्बरीन आफताब

सुषम बेदी के कथा-साहित्य में प्रवासी जीवन की समस्याएँ – मनीषखारी

हिंदी साहित्य में मिथक की अवधारणा – राहुल प्रसाद

सिनेमा, साहित्य और भारत-विभाजन – आशीष कुमार

पलायन की समस्या और अनुसूचित जाति :ग्रामीण परिवेश के मुसहर समाज के सन्दर्भ में – जोखन शर्मा

भीष्म साहनी के नाटक (हानूश का विशेष संदर्भ) – डॉ॰ बृज किशोर

अनुभूति

राकेश धर द्विवेदी की कविताएँ

शहर जो आदमी खाता है – तेजस पूनिया

लव कुमार ‘लव’ की कविताएँ

विन्ध्य प्रकाश मिश्र की कविता

कृष्णार्जुन संवाद – कृष्णानंद

वैष्णो देवी यात्रा और वो स्वाभिमानी लड़की – ध्रुव भारद्वाज

अभिषेक चन्दन की कविताएँ

संजय वर्मा “दॄष्टि” की कविताएँ

कंचन पाण्डेय की कविता

दीपा दिन्गोलिया की कविता

जरा हट के

प्रसाद परम्परा के कवि : आलोचक “मुक्तिबोध” – डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय

सबटाइटल लेखन एवं सबटाइटल अनुवाद: हिन्दी के लिए बड़ा अवसर – अरुणा त्रिपाठी

अलौकिकता के बरक्स साधारण की नियति – डॉ. राम विनय शर्मा

भूमंडलीकरण और मीडिया – रणजीत कुमार सिन्हा

ऊँ ‘व्हट्सएप’ नमः – डॉ. राजरानी शर्मा 

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त और राष्ट्रवाद – डॉ. पार्वती यादव

भाषाई अस्मिता के सामाजिक संदर्भ – डॉ. बीरेन्द्र सिंह

वैश्वीकरण के दौर में भाषा के विभिन्न आयाम – डॉ. कमलिनी पाणिग्राही

अंधकार में प्रभापुंज : स्वामी विवेकानंद – सन्तोष खन्ना

समीक्षा

गरिमा श्रीवास्तव द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘ज़ख्म, फूल और नमक’ की समीक्षा – गौरव भारती

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