
संपादकीय- डॉ. आलोक रंजन पांडेय शोधार्थी मध्ययुगीन समाज : मीरा – विश्वम्भर दत्त काण्डपाल / डॉ. टी. एन. ओझा बाज़ारवादी ताकतों के बरक्स राहुल-अंजली की मानवीय संवेदना एवं उनकी प्रेम-कथा […]
संपादकीय- डॉ. आलोक रंजन पांडेय शोधार्थी मध्ययुगीन समाज : मीरा – विश्वम्भर दत्त काण्डपाल / डॉ. टी. एन. ओझा बाज़ारवादी ताकतों के बरक्स राहुल-अंजली की मानवीय संवेदना एवं उनकी प्रेम-कथा […]
मध्यकाल अपने समय और सरोकारों के साथ एक ऐसा काल है जो, मध्यकालीन रूढ़ियों से जकड़ा हुआ है। ऐसा स्वीकार किया जाता है कि समाज, मनुष्य और साहित्य का आपस […]
कहीं सुना है कि Every girl wants a bad boy, who will be good just for her … and … Every boy wants a good girl who will be bad […]
अकबरी दरबार के कवियों में रहीम (1556-1638) का विशेष स्थान है । ये बैरम खां खानखाना के पुत्र थे और इनकी माँ हुमायूँ की पत्नी की छोटी बहन थी । […]
संचार माध्यम अथवा मीडिया का स्वरूप तेजी से इस प्रकार बदलता दिखाई दे रहा है है कि इस पर काले बादल मंडराते दिखाई दे रहे है| अतः यह कर पाना […]
संघर्ष किसी एक युग-विशेष की ही माँग नहीं है वरन् उसकी सार्थकता सभी युगों में स्वयं सिद्ध है, क्योंकि कुछ सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक तथा आर्थिक समस्याएँ ऐसी हैं, जो प्रत्येक […]
सन् 1967 में प्रकाशित शिवप्रसाद सिंह का ‘अलग अलग वैतरणी’ ग्रामभित्तिक उपन्यासों की चर्चा के प्रसंग में उल्लेखनीय स्थान रखता है। इस उपन्यास का आयतन बड़ा है, पात्रों की संख्या […]
केदारनाथ सिंह ‘भारतीयता’ के कवि हैं । उनकी कविताओं में एक साथ भारतीय जीवन के विविध पहलू सिमटे मिलते हैं। बदलते भारत के कैनवास के रंगों में, सजधज में आए […]
कृषि भारतीय जीवन का आधार, रोजगार का प्रमुख स्रोत तथा विदेशी मुद्रा अर्जन का प्रमुख माध्यम है। लेकिन आज भारतीय कृषि के समक्ष बहुत सी चुनौतियाँ हैं। पहले की तुलना […]
‘भ्रमरगीत शब्द ‘भ्रमर’ और ‘गीत’ दो शब्दों से मिलकर बना है भ्रमर काले रंग का उड़ने वाला जन्तु होता है जिसे मधुप, मधुकर, अलि आदि विविध नामों से पुकारा जाता […]