
अनुक्रमणिका संपादकीय डॉ. आलोक रंजन पांडेय शोधार्थी राम जन्मभूमि आंदोलन का मीडिया परिप्रेक्ष्य: दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स के संपादकीय का तुलनात्मक विश्लेषण – अभिजीत सिंह, डॉ. परमात्मा कुमार मिश्रा […]
अनुक्रमणिका संपादकीय डॉ. आलोक रंजन पांडेय शोधार्थी राम जन्मभूमि आंदोलन का मीडिया परिप्रेक्ष्य: दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स के संपादकीय का तुलनात्मक विश्लेषण – अभिजीत सिंह, डॉ. परमात्मा कुमार मिश्रा […]
सारांश: यह शोध राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना पर दो प्रमुख हिंदी समाचार पत्रों, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स, के संपादकीय […]
1 लिबर्टी का प्रतीक पत्थर है संगमरमर प्रेम का सदियों से स्थापित ये प्रतीक लगते हैं कितने बेमानी होती हूँ जब रूबरू इर्द गिर्द चलते-फिरते हौसले के जीवित प्रतीकों से। […]
विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर अपनी तीखी टिप्पणियों के संग संग सारगर्भित, तीक्ष्ण एवं चोट करती हुई कविताओं हेतु साहित्य जगत में विशिष्ट पहचान रखने वाले वरिष्ट साहित्यकार एवं विश्लेषक शैलेन्द्र […]
भूमिका : हिंदी साहित्य में भारतीय किसानों पर जितने उपन्यास लिखे गए हैं उनमें ‘गोदान’ एक अति उत्कृष्ट कृषक जीवन का महाकाव्यात्मक उपन्यास है। पिछले कई दशकों में भारतीय […]
आधुनिक कालीन हिंदी राम काव्य में मैथिलीशरण गुप्त रचित साकेत महाकाव्य का जहाँ अपना विशिष्ट महत्व है वहीं पंडित नित्यानंद शास्त्री विरचित रामकथा- कल्पलता अपनी शैली, मौलिक उद्भावना, उदात्त कथानक, […]
जब भी भाषा पर कोई गंभीर अकादमिक चर्चा होती है, तब विद्वान अपने अपने ढंग से भाषा के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हैं. इस प्रक्रिया में भाषा को […]
भक्ति आंदोलन हिन्दी साहित्य के इतिहास का अत्यंत गौरवपूर्ण कालखंड है। भक्त कवियों ने विभिन्न प्रदेशों को राष्ट्रीय एकता के सूत्र में बांधने का जो महान कार्य किया उसका मूल्य […]
कबीर वैष्णव आचार्य रामानंद के एक प्रसिद्ध शिष्य जो ज्ञानमार्गी और संत कवि थे, कबीर हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।कबीर युग दृष्टा कवि थे। उनका व्यक्तित्व, उनकी वाणी […]
कहानी मावन सभ्यता का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा रही है। यह मानवीय जीवन के चरित्रों को चित्रित करने का माध्यम है साथ ही यह जीवन की वास्तविकता का प्रस्तुतीकरण भी है। […]