
संपादकीय – डॉ. आलोक रंजन पांडेय बातों-बातों में हबीब तनवीर के संदर्भ में कपिल तिवारी से ऋतु रानी की बात-चीत शोधार्थी पाठकों से संवाद करती स्वयंप्रकाश की कहानियाँ : डॉ.शशांक […]
संपादकीय – डॉ. आलोक रंजन पांडेय बातों-बातों में हबीब तनवीर के संदर्भ में कपिल तिवारी से ऋतु रानी की बात-चीत शोधार्थी पाठकों से संवाद करती स्वयंप्रकाश की कहानियाँ : डॉ.शशांक […]
आधुनिक संपादन कला के वैशिष्ट्य के लिए जिन बिंदुओं की महत्त्वपूर्ण माना जाता है, उस वैज्ञानिक आधार की पृष्ठभूमि शिव पूजन सहाय द्वारा संचालित ‘हिमालय’ में उस समय देखा जा […]
साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है। साहित्य एक-दूसरे के दुःख में दुःखी होना और एक-दूसरे के सुख में सुखी होना सिखाता है। वह संपूर्ण मनुष्य का कल्याण हो […]
हिन्दी सिनेमा का आरम्भ पारसी थिएटर की देन है। उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम दशक में महाराष्ट्र और गुजरात में पारसी थिएटर का जन्म माना जाता है। इसके आरंभिक रंगकर्मियों में […]
भारतीय संस्कृति में अहिंसा को सबसे बड़ा धर्म स्वीकार किया गया । मानवीय सभ्यता के मूल में अहिंसा की भूमिका सबसे अहम है । वैसे तो वैदिक ग्रंथों में अहिंसा […]
सारांश : सूरदास कृष्णकाव्यधारा के अप्रतिम कवि हैं। उनके पदों की विरहानुभूति मार्मिक, सहज और प्रभावी हैं। यह प्रेम का दर्पण है। प्रेम ऐसा भाव है जिससे कोई भी अछूता […]
भारत की जनंसख्या का अधिकांश प्रतिशत कृषि पर निर्भर करता है। देश की अर्थव्यवस्था में सदैव कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। साहित्य में भी किसान एक जमाने से केन्द्र […]
हिंदी के मध्यकालीन युग से लेकर नवीनतम युग में महाकवि तुलसी एक ऐसे सूर्य है,जिनका तेज वर्तमान में छटाक मात्र भी मलीन नहीं हुआ है। भारतीय साहित्य की विभूतियों में […]
अमृतलाल नागर हिंदी गद्य साहित्य के उन शिखर पुरुषों में गिने जाते हैं जिनके गद्य से हिंदी साहित्य ही नहीं बल्कि अन्य भारतीय भाषाओं का साहित्य भी समृद्ध हुआ है। […]