रात में तो चूहे सोते हैं न (मूल जर्मन से हिन्दी में अनुवाद) – रामचन्दर गुप्ता

[Übersetzung der Kurzgeschichte „Nachts schlafen die Ratten doch“ von Wolfgang Borchert. Aus dem Deutschen ins Hindi übersetzt von Ram Chander Gupta] मूल जर्मन से हिन्दी में अनुवाद लेखक : वोल्फ़गांग […]

इफिगेनी ( योहान्न वोल्फ़गांग फ़ॉन ग्योते, एक जर्मन नाटक) (Iphigenie auf Tauris) : एक नाटक – अनुवादक: प्रशांत कुमार पांडेय, रामचन्दर गुप्ता

पात्र: इफिगेनी तोआस, ताउरिअर राजा ओरेस्त, इफिगेनी का भाई पिलादेस, ओरेस्त का मित्र अरकास, ताउरिअर सैनिक स्थान: देवी डियाना  के मन्दिर का उपवन पहला अंक पहला दृश्य   इफिगेनी: देवी […]

रॉग नम्बर ( एम.एस.मूर्ति का कन्नड भाषा से अनुदित लेख ) – डॉ. गगन कुमारी हळवार तथा डॉ. हेमावती

दोपहर का खाना खत्म कर, मै अपने कलाकृतियों पर नज़र दौडा रहा था । टेलीफोन की घण्टी लगातार बज़ रही थी । हेलो…कौन ? मैने पूछा ’कौन बात कर रहा […]

गांधारी (मूल उड़िया कविता का हिंदी काव्यान्तरण) -प्रो. माला मिश्र

 हे गांधारी  ! तुमने अपनी आँखों में पट्टी बाँधते समय उचित अनुचित नहीं सोचा था,  अपने स्वामी के साथ खड़े होकर तुम दुनिया के सम्मुख दृष्टांत बन गई थीं, जब […]

मलयालम के श्रेष्ठ कवि श्रीकुमारन तम्पि के कविताओं का अनुवाद – डॉ. प्रिया ए.

 (शीर्षकंगल इल्लात्त कवितकल – शीर्षकहीन कविताएं) (1)                                                […]

समकालीन समाज के भाषिक संवर्धन में अनुवाद की उपयोगिता – सुमन

आज के इस सूचना प्रधान युग में अनुवाद अस्मिता के उत्कर्ष छू रहा है। यही कारण है कि विद्वान वर्तमान युग को अनुवाद युग की संज्ञा देते हैं। सूचना प्रौद्योगिक […]

ओक्ताविओ पास का “भारत”: अनुवाद एवं समीक्षा – माला शिखा

यूरोपीय देशों और संयुक्त राज्य अमेरिका से इतर लैटिन अमेरिका के बुद्धिजीवियों काप्राच्य देशों, उनकी सभ्यताओं तथा संस्कृतिओं को समझने का प्रयास उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त में आधुनिकतावाद के आगमन […]

बालशौरि रेड्डी के साहित्य में प्रयुक्त भाषा – डॉ. आर.सपना

बालशैरि रेड्डी दक्षिण के सुप्रसिद्ध लेखक हैं। बालशौरि रेड्डी अपने कार्य के प्रति निष्ठा, कठोर परिश्रम, साहित्य साधना तथा अनवरत संघर्ष के प्रेरणाप्रद उज्ज्वल उदाहरण है। इनकी मातृभाषा तेलुगु है। […]

हिंदी अनुवाद के इतिहास लेखन में आचार्य रामचंद्र शुक्ल का योगदान – वीरेंद्र कुमार मीना

वर्तमान समय में ज्ञान के प्रत्येक क्षेत्र से लेकर व्यक्ति की दिनचर्या तक में अनुवाद ने अपना महत्त्व स्थापित किया है। बिना अनुवाद के हम यह तक नहीं जान सकते […]

गुजराती कहानी ‘सगी माँ’ का हिंदी अनुवाद- अनुवादक : डॉ.रजनीकांत एस.शाह

नन्हा सा कुसुमायुध आज चिंतामिश्रित आनंद का अनुभव कर रहा अच्छे वस्त्रों में सज्जित था। अच्छी लगे ऐसी मुस्कराहट बिखेर रही कोई युवती घर में घूम रही थी। कुसुमायुध अपने […]