
सूरज आज खुश था। उसने बी.ए. की परीक्षा अच्छे नंबरों में पास कर ली थी । उसके घर वाले भी प्रसन्न थे । उसकी मां ने मेहनत- मज़ूरी कर सूरज […]

सूरज आज खुश था। उसने बी.ए. की परीक्षा अच्छे नंबरों में पास कर ली थी । उसके घर वाले भी प्रसन्न थे । उसकी मां ने मेहनत- मज़ूरी कर सूरज […]

किशोरावस्था में रूमानी और जासूसी उपन्यास खूब पढ़े। साथ-साथ साहित्यिक पुस्तकें भी पढ़ता था। आज जब इन उपन्यासों की लोकप्रियता को याद करता हूँ तो सोचता हूँ बजाय इन्हें सिरे […]

कभी पूजा उसको तो कभी ठुकराया है कभी पुरुष तो कभी नारी युग आया है। स्त्री एवं पुरुष समाज […]

‘वसंत के हरकारे: कवि शैलेन्द्र चौहान’, सुरेन्द्र सिंह कुशवाह द्वारा संपादित शैलेन्द्र के व्यक्तित्व-कृतित्व पर केन्द्रित बीस आलेखों का संकलन है। इसमें सूरज पालीवाल, प्रकाश मनु, वसंत मुखोपाध्याय, अभिज्ञात, शीलचंद […]

सिंधु नदी से सागर तक हम एक ही हैं। हमारी एक ही आइडियोलॉजी होनी चाहिए हिंदुत्व। हिंदुत्व हिन्दू धर्म नहीं है और सनातन धर्म भी हिन्दू धर्म का केवल एक […]

अनुक्रमणिका संपादकीय डॉ. आलोक रंजन पांडेय शोधार्थी निराला के काव्य में सामाजिक यथार्थ – डॉ. काळे मदन भाऊराव भारतीय ज्ञान परंपरा और भक्ति काव्य – डॉ. जयन्त कुमार कश्यप हिंदी […]

हर मौसम अपने संग अपने तरह के विमर्श और अपनी तरह की चिंताएं लेकर आता है । जैसे इस समय पर जब हिन्दी दिवस का उत्सव मनाया जा रहा है […]

हिन्दी साहित्य के इतिहास में करीब करीब दो शताब्दियों तक छायावाद का प्रभाव रहा है। हिन्दी साहित्य कालविभाजन के अन्तर्गत छायावाद का काव्य प्रमुख रहा है। कालविभाजन करनेवाले सभी इतिहासकारों […]

भारतीय ज्ञान परंपरा एक विशाल नदी की तरह है जो सदियों से प्रवहमान है। इस ज्ञान परंपरा के भीतर अनेकानेक विशेषताएं हैं। इन विशेषताओं के सम्मिलित रूप हमारे जीवन के […]

सारांश सिनेमा केवल एक मनोरंजक साधन ही नहीं, अपितु एक जनजागृति और शिक्षा प्रदान करने का साधन भी है। विकलांग वर्ग एक ऐसा वर्ग है जो समाज का एक अभिन्न […]