संपादकीय

ज्वलंत विषय

‘राष्ट्रीय अस्मिता को हिंदी भाषा ही बचा सकती है?’ विषय पर प्रो. हरिशंकर मिश्रा और प्रो. करुणाशंकर उपाध्याय से ज्वलंत चर्चा

बातों-बातों में 

हंसराज महाविद्यालय की पहली महिला प्राचार्य और मीडिया विशेषज्ञ डॉ. रमा से सहचर टीम की आत्मीय बातचीत

शोधार्थी

भारतीय योग परंपरा और कबीर – डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय

ब्रज भाषा साहित्य में पर्यावरण चेतना- डॉ. ममता सिंगला

डाॅ. भीम राव अम्बेडकर का नारी-चिन्तन – अर्चना उपाध्याय

काशी में कबीर – डॉ. संगीता राय

कबीर की चिंतन धारा – डॉ. माला मिश्र

कबीर की सामाजिक चेतना – डॉ.  साधना शर्मा

हिंदी आलोचना में कबीर की विविध छवियाँ – विनय कुमार गुप्ता

कबीर: सामंती समाज का लोकतांत्रिक व्यक्तित्व – आशुतोष तिवारी

भाषा, पत्रकारिता और हिंदी – प्रभात रंजन

कबीर : साहित्य का सामाजिक चिंतक – राकेश कुमार दुबे

कबीर की सामाजिक चेतना के आयाम – ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह

कबीर के अध्ययन की समस्याएँ – ललन कुमार

कबीर के काव्य में ब्रह्म का स्वरूप – आरती

कबीरकाव्य में सामाजिक एकीकरण – शान्तिलाल

कबीर काव्य में सामाजिक चेतना – नीलम शर्मा

वर्तमान संदर्भ में कबीर की सामाजिक दर्शन की प्रासंगिकता – आनंद दास

वर्तमान समय और कबीर की कविता – राहुल प्रसाद

रीतिमुक्त कविता और घनानंद – श्वेतांशु शेखर

कबीर के काव्य प्रेम और माधुर्य-कांता मिलन विछोह की कसौटी पर – उर्मिला शुक्ल

कबीर के काव्य का संदेश – डॉ. सरिता देवी

हिंदी साहित्य के इतिहास में कबीर की प्रासंगिकता –  विशाल कुमार सिंह

कबीर और आज – डॉ. स्वप्निल यादव

झीनी- झीनी बीनी चदरिया रे – सविता प्रथमेश

कबिरा खड़ा बजार में – कृष्णानन्द

कबीर की आवश्यकता और मूल्यांकन – निशि उपाध्याय

कबीर के काव्य में लोक संचार भावना – डॉ. चन्देश्वर यादव

कबीर के काव्य का संदेश – डॉ. सरिता देवी

कबीर-काव्य: मूल्य और प्रासंगिकता – कमलेश चौधरी

कबीर की काव्य संवेदना और आधुनिक बोध – मोहिनी पाण्डेय

विभिन्न आलोचकों की दृष्टि में कबीर – ऐश्वर्या पात्र

अनुभूति

राकेश धर द्विवेदी की कविताएँ

विहाग वैभव की कविताएँ

राहुल प्रसाद की पाँच कविताएँ मौलिक

ये बेटी की कैसी आज़ादी (कविता) – आरती

राहुल प्रसाद की गज़लें

 संवर्धन (कहानी) – सविता मिश्रा

जंगल का भूत (कहानी) – मनीष कुमार सिंह

सविता मिश्रा की कविता

रश्मि राजगृहार की कविता

फौजी (कहानी) – उमेश ’दास’

कवि राजेश पुरोहित की गज़ल

दीपक वार्ष्णेय की कविताएँ

सुनो, तुम मुझसे झूठ तो नहीं बोल रहे (कहानी) – संजय वर्मा “दृष्टी”

 

जरा हट के

बेहद्दी : एक लोकगीत – डॉ. मंजु तॅवर

असफल होते सरकारी विद्यालयों की कहानी : एक जुबानी – डॉ. अमितेश कुमार शर्मा

अष्टभुजा शुक्ल के काव्य में चित्रित ग्रामीण जीवन – प्रियंका झा

भाषा और अस्मिता का अंतस्संबंध – बीरेन्द्र सिंह

मध्यप्रदेश में बालिका शिक्षा की स्थिति एवं स्तर – सुधांशु कुमार सिंह

तर्जुमा

ओक्ताविओ पास का “भारत”: अनुवाद एवं समीक्षा – माला शिखा

समीक्षा

डॉ. अमरीश सिन्हा द्वारा लिखित “बीमा सुरक्षा और सामाजिक सरोकार”  पुस्तक की समीक्षा –  डॉ. प्रमोद पाण्डेय

सिनेमा / फैशन

महारानी पद्मिनी: इतिहास या मिथक – डा. वीरेन्द्र भारद्वाज

प्रतिरोध का सिनेमा वाया कड़वी हवा – तेजस पूनिया

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