
समाज में जो कुछ भी घटित होता है फिल्में उन सभी घटनाओं को दिखाने का एक सशक्त माध्यम हैं। वास्तविक जीवन तथा फिल्मी परदे पर दिखाए जा रहे बनावटी जीवन […]

समाज में जो कुछ भी घटित होता है फिल्में उन सभी घटनाओं को दिखाने का एक सशक्त माध्यम हैं। वास्तविक जीवन तथा फिल्मी परदे पर दिखाए जा रहे बनावटी जीवन […]


‘फीचर’ (फीचर) समाचार पत्रों का एक अत्यावश्यक व अभिन्न भाग है। इस कारण सभी समाचार पत्रों में ‘फीचर’ देखने और पढ़ने मिल जाते हैं। ‘फीचर’ शब्द लैटिन भाषा के फैक्चर […]

सार : स्त्री लेखन का आरंभिक दौर सामाजिक आदर्श और नैतिकता से प्रेरित था। स्वाधीनता प्राप्ति के बाद बदले हुए माहौल और मध्यवर्ग के नए परिवेश में इनके कथावस्तु के […]

भारत में न्यू मीडिया अपने विकासमान दौर में है। इसके फैलाव की गति बहुत तेज है। इसके बहाव के आगे पारंपरिक मीडिया के साथ-साथ मुख्यधारा की मीडिया भी विस्मित है। […]

सूचना प्रौ़द्योगिकी के युग में तकनीकी समृद्धि मानव समाजिक सभ्यता के विकास का परिचायक है। सभ्यता का विकास आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक बदलाव को दर्शाता है। मीडिया का नवीन रूप […]

‘‘नागार्जुन कविता की बनी-बनायी दुनिया से बाहर खड़े होकर रचते हैं। ज्यादातर कवि कविता की दुनिया में रहकर रचते हैं या रचना शुरू करते ही कविता की दुनिया में चले […]

नारी किसी भी महाकाव्य का प्राण होती है।नारी के बिना काव्य के सभी रस श्रृंगार ,वीर ,वात्सल्य रसहीन होकर रह जाते है।अपने प्राकृतिक गुणों के कारण नारी सदा से ही […]

आज से नौ दशक पहले 27 सितम्बर, 1925 की तारीख को विजयादशमी के शुभ अवसर पर नागपुर में बीस-पच्चीस लोगों को इकठ्ठा कर जब छत्तीस वर्षीय सामान्य कद-काठी के डॉ […]

बीसवीं सदी में जनसंचार को नया परिचय मिला जिसमें रेडियों पत्र-पत्रिका, टेलीविजन न सिर्फ मनोरंजन और ज्ञानवर्धन का साधन बना बल्कि इसने ही भारत के जनसंचार के ढाँचे को खड़ा […]