पेड की पुकार – डॉ.पुष्पा गोविंदराव गायकवाड

भारतीय संस्कृति अतिथि देवो भव वाली है। संत तुकाराम महाराज ने 17वीं शताब्दी में सभी भारतवासियों के लिए बहुत ही बड़ा मौलिक संदेश दिया था। जो आज भी प्रासंगिक लगता […]

दोस्तोएवस्की का घोड़ा : एक संघर्षरत युवा और दृष्टा लेखक – आरती

दमनरहित संरचनाओं की विकल्पहीनता के दौर में एक विकल्प की तलाश पर हैं लेखक शचीन्द्र आर्य और उनकी याद की क़िताब। संभवतः यही कारण है कि विधा के हवाले से […]

स्त्री मन की उड़ान : एक मुक्त आकाश (डॉ. रजनी गुप्ता) – समीक्षक—डॉ. शारदा प्रसाद

जब भावनाएँ रुकती नहीं, थमती नहीं, बस बहते जाना है—अपरिमित परिधियों के पार, मन की सभी सीमाओं को पार कर, आकाश को नाप लेना है, नाप लेना है उसके ओर-छोर […]

अनुक्रमणिका

अनुक्रमणिका संपादकीय  डॉ. आलोक रंजन पांडेय शोधार्थी राम जन्मभूमि आंदोलन का मीडिया परिप्रेक्ष्य: दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स के संपादकीय का तुलनात्मक विश्लेषण – अभिजीत सिंह, डॉ. परमात्मा कुमार मिश्रा […]

राम जन्मभूमि आंदोलन का मीडिया परिप्रेक्ष्य: दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स के संपादकीय का तुलनात्मक विश्लेषण – अभिजीत सिंह, डॉ. परमात्मा कुमार मिश्रा और सत्येश भट्ट

सारांश: यह शोध राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना पर दो प्रमुख हिंदी समाचार पत्रों, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स, के संपादकीय […]

“गोस्वामी तुलसीदास के राम साहित्य का अनुशीलन – हर्षित राज श्रीवास्तव

श्रीरामचरितमानस के बालकाण्ड में एक प्रसंग आता है, जब तुलसी का राम- प्रेम एवं समर्पण उस पराकाष्ठा तक पहुंच जाता है, जहां शब्दों का कोई अर्थ नहीं रहता भाव ही […]

“वैश्विक साहित्य में राम” – डॉ नीलू सिंह

“तुलसी साहित्य में राम” “श्रीरघुनाथ कथामृत-पोषित, काव्यकला रति-सी छवि छाई । ताहि अनेकन भूषन भूषित, बरी तुलसी अति ही हरसाई ।। जीवत सो जुग जोरी खरी, हुलसी-हुलसी अति मोद उछाई […]

क्षणिकाएं – भावना सक्सेना

1 लिबर्टी का प्रतीक पत्थर है संगमरमर प्रेम का सदियों से स्थापित ये प्रतीक लगते हैं कितने बेमानी होती हूँ जब रूबरू इर्द गिर्द चलते-फिरते हौसले के जीवित प्रतीकों से। […]

भारत का स्वाधीनता संग्राम और क्रांतिकारी – अतुल्य खरे

विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर अपनी तीखी टिप्पणियों के संग संग सारगर्भित, तीक्ष्ण एवं चोट करती हुई कविताओं हेतु साहित्य जगत में विशिष्ट पहचान रखने वाले वरिष्ट साहित्यकार एवं विश्लेषक शैलेन्द्र […]

आदिवासी साहित्य को आगे बढ़ाता अनुवाद – श्रद्धा वर्मा

सारांश  – भारतीय साहित्यिक परंपरा में आदिवासी अनुभव लंबे समय तक मुख्यधारा के विमर्श से उपेक्षित रहे। उनके जीवन, संस्कृति और संवेदना का चित्रण या तो बाहरी दृष्टि से हुआ […]