
हिंदू-मुस्लिम सौहार्द के विलक्षण पैरोकार और महत् आकांक्षी बांग्ला कवि-लेखक काजी नज़रुल इस्लाम आधुनिक बांग्ला काव्य एवं संगीत के इतिहास में निस्संदेह एक युग प्रवर्तक थे। प्रथम महायुद्ध के उपरांत […]
हिंदू-मुस्लिम सौहार्द के विलक्षण पैरोकार और महत् आकांक्षी बांग्ला कवि-लेखक काजी नज़रुल इस्लाम आधुनिक बांग्ला काव्य एवं संगीत के इतिहास में निस्संदेह एक युग प्रवर्तक थे। प्रथम महायुद्ध के उपरांत […]
पात्र: इफिगेनी तोआस, ताउरिअर राजा ओरेस्त, इफिगेनी का भाई पिलादेस, ओरेस्त का मित्र अरकास, ताउरिअर सैनिक स्थान: देवी डियाना के मन्दिर का उपवन पहला अंक पहला दृश्य इफिगेनी: देवी […]
विगत चार दशकों से हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में अपनी प्रभावी और गरिमापूर्ण उपस्थिति दर्ज कराने वाले जुझारू एवं प्रखर साहित्यकार शैलेन्द्र चौहान के कृतित्व के मूल्यांकन को समेटती […]
आज से करीबन 15-16 साल पहले आई एक ठग जोड़ी अभिषेक बच्चन, रानी मुखर्जी की चोरियां, ठगी तो आपको याद ही होगीं। अरे वही जिन्होंने सिनेमाई पर्दे पर खूब रंग […]
अनुक्रमणिका संपादकीय तेजस पूनियां बातों – बातों में साहित्य विविध मनोदशाओं और संवेदनाओं की अभिव्यक्ति है : अरुणा सब्बरवाल (प्रवासी लेखिका अरुणा सब्बरवाल से बातचीत) – डॉ. दीपक पाण्डेय शोधार्थी […]
आज़ाद और जवान होता सिनेमाई पर्दा सिनेमा हमारे आम जीवन का अब एक अभिन्न अंग बन चुका है। एक शतकीय पारी से ज़्यादा का जीवन जी चुका यह एक ऐसा […]
अरुणा सब्बरवाल लंदन में रहकर हिंदी-कहानियों का सृजन कर रही हैं. आप चित्रकला में भी पारंगत हैं और आपके चित्रों में भारतीयता के अनेक रंग देखने को मिल जाते हैं. […]
हिंदी सिनेमा यद्यपि मनोरंजन प्रधान और व्यावसायिक रहा है किन्तु सामाजिक मुद्दों और समसामयिक घटनाओं की अभिव्यक्ति से भी इसका जुड़ाव लगातार रहा हैI समाज के विभिन्न वर्गों-समुदायों को अपनी […]
सार भारतीय समाज में चाहे स्थान तथा क्षेत्र कोई भी हो नारी को हर जगह अपने अस्तित्व के लिए लड़ाई लड़नी ही पड़ती है। वैदिक काल में नारी को पुरूषों […]
साहित्य और सिनेमा दो स्वतंत्र विधा होते हुए भी दोनों एक दूसरे से संबंधित हैं। वर्तमान समय में फिल्में हमारे समाज के यथार्थ को प्रस्तुत करने की सशक्त माध्यम बन […]