
ईस्वी सन की सातवीं शताब्दी से अद्यतन -काल तक अनवरत रुप से प्रवाहित हिंदी काव्यधारा में भक्ति का प्रवाह मन्दाकिनी की तरह अपनी निष्कलुष तरँगावली और अनन्त जनता के मन […]

ईस्वी सन की सातवीं शताब्दी से अद्यतन -काल तक अनवरत रुप से प्रवाहित हिंदी काव्यधारा में भक्ति का प्रवाह मन्दाकिनी की तरह अपनी निष्कलुष तरँगावली और अनन्त जनता के मन […]

भक्तिकालीन कवि रहीम जी सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक थे। जिस प्रकार रत्न अनमोल और बहुत ही लुभावने और चमकदार होते हैं उसी प्रकार रहीम जी के दोहे […]

रामनाम से गांधीजी का पहला परिचय उनकी धाय रंभा के कारण हुआ जिसने उन्हें बताया था कि भूतप्रेत का इलाज रामनाम है ।इस तरह देखें तो रामनाम का प्रभाव बचपन […]

गहराई से किए गए तुलसी काव्य के अवलोकन से यह चित्रित सत्य एकदम साफ हो जाता है कि तुलसी ने राम को चार रूपों में चित्रित किया है:- (1) निर्गुण […]

समाज के अभिन्न अंग व्यक्ति के समग्र जीवन की पृथक-पृथक परिष्कृत एवं सुसंस्कृत गतिविधियों के समुच्चय रूप का नाम संस्कृति है। वर्ल्ड यूनिवर्सिटी एनसाइक्लोपीडिया के अनुसार, “संस्कृति समाज विशेष की […]

राम के विराट व्यक्तित्व की तरह निराला का भी व्यक्तित्व विराट है। राम केवल एक चक्रवर्ती राजा के पुत्र ही नहीं वरन् उनका व्यक्तित्व एक प्रजापालक, मर्यादित, आदर्शवादी, नैतिकता की […]

भारत के विविध भाषा के साहित्य की भांति असमीया साहित्य भी प्राचीन इतिहास से समृद्ध है। असमीया साहित्य की इतिहास रचयिताओं ने इस इतिहास को मूल रूप से प्राचीन युग, […]

साहित्य के आदि चरित्र और भारतीय संस्कृति के प्रतीक पुरुष के रूप में राम प्रत्येक देश, काल व परिस्थिति में आदर्श नायक के रूप में प्रतिष्ठित हैं। धर्म और अधर्म […]

भवभूति संस्कृत के श्रेष्ठ नाटककार हैं। कालिदास के नाटकों में समतुल्य भवभूती के नाटक माने जाते हैं। भवभूति विदर्भ के पद्मपूर नामक स्थान के निवासी थे। भवभूति ने भट्टश्रीकंठ पछलांछती […]

शोध सार – भक्ति परम्परा का विकास प्राचीनकाल से ही आरम्भ हो गया था। राम भक्त कवियों ने अपनी मधुर वाणी के द्वारा जनसाधारण के हृदय में राम भक्ति का […]