निज़ाम-फतेहपुरी की ग़ज़ल

वज़्न- 212  212  212  212 अरकान- फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन ज़िंदगी इक सफ़र  है नहीं और कुछ। मौत के डर से डर  है नहीं और कुछ।। तेरी दौलत महल  तेरा  […]

 “भारतीय ज्ञान परंपरा में आध्यात्मिक अनुसंधान अध्ययन के विहंगम परिदृश्य द्वारा आत्मिक परिवेश की पवित्र अनुभूति” – डॉ. अजय शुक्ला 

” आध्यात्मिक अनुसंधान में सत्य दर्शन का रहस्योद्घाटन प्रामाणिक स्वरूप से होने के कारण , साधना के पथ पर गतिशील साधक के लिए – आत्मानंद के सानिध्य में परिष्कृत आत्मचिंतन […]

राजनीति में सन्तवाद – डॉ. हरदीप कौर

एक सच्चा सन्त अपने परिवेष की अवहेलना नहीं करता, उसका अपने सामाजिक परिवेष के साथ धनिष्ठ सम्बन्ध होता है। वह सामाजिक उतार-चढ़ावों, उसके द्वन्द्वों आदि को समझता है। उसकी वाणी, […]

रात में तो चूहे सोते हैं न (मूल जर्मन से हिन्दी में अनुवाद) – रामचन्दर गुप्ता

[Übersetzung der Kurzgeschichte „Nachts schlafen die Ratten doch“ von Wolfgang Borchert. Aus dem Deutschen ins Hindi übersetzt von Ram Chander Gupta] मूल जर्मन से हिन्दी में अनुवाद लेखक : वोल्फ़गांग […]

सार्थक सिनेमा के चितेरे ‘बासु दा’ थे (पुस्तक समीक्षा) – तेजस पूनियां

भारतीय सिनेमा में सार्थक सिनेमा बनाने वाले निर्देशकों में सत्यजित रे, बासु भट्टाचार्य आदि जैसे बंगाली फिल्म निर्देशकों का स्थान हमेशा अव्वल रहा है। लेकिन इन्हीं लोगों की पंक्ति में […]

अनुक्रमणिका

अनुक्रमणिका संपादकीय  डॉ. आलोक रंजन पांडेय   शोधार्थी गांधीजी के राम : एक सांस्कृतिक-विमर्श – डॉ. अरुणाकर पाण्डेय तुलसी के राम सौंदर्य, शक्ति और शील के संगम – नदीम अहमद वर्तमान […]

संपादकीय

वैश्विक साहित्य में राम राम भारतीय जन-जीवन में व्याप्त एक कालजयी चरित्र हैं,जिन्होंने संपूर्ण विश्व को अपने आदर्श एवं मर्यादा पुरुषोत्तम स्वरूप से प्रभावित किया है।जिसमें सब रम जाएँ वहीं […]

गांधीजी के राम : एक सांस्कृतिक-विमर्श – डॉ. अरुणाकर पाण्डेय

रामनाम से गांधीजी का पहला परिचय उनकी धाय रंभा के कारण हुआ जिसने उन्हें बताया था कि भूतप्रेत का इलाज रामनाम है ।इस तरह देखें तो रामनाम का प्रभाव बचपन […]

तुलसी के राम सौंदर्य, शक्ति और शील के संगम – नदीम अहमद

गहराई से किए गए तुलसी काव्य के अवलोकन से यह चित्रित सत्य एकदम साफ हो जाता है कि तुलसी ने राम को चार रूपों में चित्रित किया है:- (1) निर्गुण […]

वर्तमान सांस्कृतिक संकट और राम कथा – डॉ. दीप्ति

समाज के अभिन्न अंग व्यक्ति के समग्र जीवन की पृथक-पृथक परिष्कृत एवं सुसंस्कृत गतिविधियों के समुच्चय रूप का नाम संस्कृति है। वर्ल्ड यूनिवर्सिटी एनसाइक्लोपीडिया के अनुसार, “संस्कृति समाज विशेष की […]