आधुनिक हिन्दी में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद – वीरेन्दर

राष्ट्रवाद मूल रूप से एक सांस्कृतिक अवधारणा है। राष्ट्रवाद का स्वरूप उस राष्ट्र की धर्म और संस्कृति के द्वारा निर्धरित होता है। भारत में अनादिकाल से ही धर्म मनुष्य के जीवन का प्राणतत्त्व रहा […]

पीयर रिव्यू तथा प्रकाशन की नैतिकता

इस जर्नल में उन्हीं आलेखों पर प्रकाशन हेतु विचार किया जाएगा जो सर्वथा मौलिक होंगे, साथ ही लेखक द्वारा प्लेगरिज्म (साहित्यिक चोरी) से वंचित होने का घोषणा-पत्र संलग्न होगा। इस […]

सहचर ई-पत्रिका की आचार नैतिकता

इस ई-पत्रिका में उन्हीं आलेखों पर प्रकाशन हेतु विचार किया जाएगा जो सर्वथा मौलिक होंगे। इस ई-पत्रिका में प्रकाशनार्थ जो भी आलेख लेखकों द्वारा प्रेषित किए जाएं, वे यह सुनिश्चित […]