प्रेमचंद की कथाओं में लोक धर्म निरूपण – डॉ वारिश जैन

शोध सारांश – प्रेमचंद हिंदी साहित्य जगत के अद्वितीय कथाकार हैं। वे हिंदी साहित्य आकाश के ऐसे चंद्रमा है जिन्हें हर हिंदी प्रेमी चकोर की भांति प्रेम और सम्मान पूर्वक […]

हिंदी साहित्य का आधा इतिहास : हिंदी स्त्री-साहित्य का सौंदर्यशास्त्र – शिवानी कार्की

प्रस्तावना:- हिंदी साहित्येतिहास लेखन की एक सुदीर्घ परम्परा रही है। विदेशी प्रयासों से आरंभ होकर भारतीय हिंदी साहित्येतिहासकारों तक पहुंचने में हिंदी साहित्येतिहास ने एक लंबा रास्ता तय किया है। […]

राम जन्मभूमि आंदोलन का मीडिया परिप्रेक्ष्य: दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स के संपादकीय का तुलनात्मक विश्लेषण – अभिजीत सिंह, डॉ. परमात्मा कुमार मिश्रा और सत्येश भट्ट

सारांश: यह शोध राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना पर दो प्रमुख हिंदी समाचार पत्रों, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स, के संपादकीय […]

“गोस्वामी तुलसीदास के राम साहित्य का अनुशीलन – हर्षित राज श्रीवास्तव

श्रीरामचरितमानस के बालकाण्ड में एक प्रसंग आता है, जब तुलसी का राम- प्रेम एवं समर्पण उस पराकाष्ठा तक पहुंच जाता है, जहां शब्दों का कोई अर्थ नहीं रहता भाव ही […]

“वैश्विक साहित्य में राम” – डॉ नीलू सिंह

“तुलसी साहित्य में राम” “श्रीरघुनाथ कथामृत-पोषित, काव्यकला रति-सी छवि छाई । ताहि अनेकन भूषन भूषित, बरी तुलसी अति ही हरसाई ।। जीवत सो जुग जोरी खरी, हुलसी-हुलसी अति मोद उछाई […]

आदिवासी साहित्य को आगे बढ़ाता अनुवाद – श्रद्धा वर्मा

सारांश  – भारतीय साहित्यिक परंपरा में आदिवासी अनुभव लंबे समय तक मुख्यधारा के विमर्श से उपेक्षित रहे। उनके जीवन, संस्कृति और संवेदना का चित्रण या तो बाहरी दृष्टि से हुआ […]

‘बाजारवाद की चंगुल में फंसे अन्नदाता की औपन्यासिक दास्तान : आखिरी छलांग’ – डॉ. मजीद शेख

भूमिका :        हिंदी साहित्य में भारतीय किसानों पर जितने उपन्यास लिखे गए हैं उनमें ‘गोदान’ एक अति उत्कृष्ट कृषक जीवन का महाकाव्यात्मक उपन्यास है। पिछले कई दशकों में भारतीय […]

रामकथा-कल्पलता में चित्रित यथार्थ-बोध – डॉ. दिनेशकुमार        

आधुनिक कालीन हिंदी राम काव्य में मैथिलीशरण गुप्त रचित साकेत महाकाव्य का जहाँ अपना विशिष्ट महत्व है वहीं पंडित नित्यानंद शास्त्री विरचित रामकथा- कल्पलता  अपनी शैली, मौलिक उद्‌भावना, उदात्त कथानक, […]

गाँधी की भाषा और भाषा का गाँधी – प्रशांत कुमार पांडेय

जब भी भाषा पर कोई गंभीर अकादमिक चर्चा होती है, तब विद्वान अपने अपने ढंग से भाषा के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हैं. इस प्रक्रिया में भाषा को […]

रामचरितमानस में लोक-चेतना –  डॉ. शगुन अग्रवाल

भक्ति आंदोलन हिन्दी साहित्य के इतिहास का अत्यंत गौरवपूर्ण कालखंड है। भक्त कवियों ने विभिन्न प्रदेशों को राष्ट्रीय एकता के सूत्र में बांधने का जो महान कार्य किया उसका मूल्य […]