हिंदी का लोक व्यवहार – डॉ. ममता सिंगला

आदि मानव की विकास परम्परा का आधार मूलभूत आवश्यकता के अतिरिक्त भाषा भी मुख्य आधार रहा है । क्योंकि भाषा ही वह माध्यम है जिसके द्वारा एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति […]

पर्यावरण संरक्षणः आवश्यकता एवं उपाय – डाॅ० राजेश उपाध्याय

ईषावास्यमिदं सर्व यत्किंचित जगत्यां जगत। तेन त्यक्तेन भुन्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम्।। -इषोपनिशद् मंत्र ईश्वर ने उपहार स्वरूप प्रकृति की समस्त वस्तु उपभोग के लिए संसार के सभी मनुष्यों को प्रदान […]

विश्व शांति: अहिंसा और महात्मा गांधी के योगदान – डॉ. संजीव कुमार तिवारी

भारतीय संस्कृति में अहिंसा को सबसे बड़ा धर्म स्वीकार किया गया । मानवीय सभ्यता के मूल में अहिंसा की भूमिका सबसे अहम है । वैसे तो वैदिक ग्रंथों में अहिंसा […]

तीसरी दुनिया का दर्द : जिन्दगी 50-50 – डॉ. पंढरीनाथ शिवदास पाटिल

साहित्य वह है जिसमें सब कुछ समाहित है। इसे लेकर विद्वानों ने बहुत सारी स्थापनाएँ दी है। जैसे ‘साहित्य समाज का दर्पण है, यह संचित ज्ञान राशि का कोष है’, […]

विरह पदावली : विरह का मनोवैज्ञानिक चित्रण – डॉ. तेजनारायण ओझा

सारांश : सूरदास कृष्‍णकाव्‍यधारा के अप्रति‍म कवि‍ हैं। उनके पदों की वि‍रहानुभूति मार्मि‍क, सहज और प्रभावी हैं। ‍यह प्रेम का दर्पण है। प्रेम ऐसा भाव है जिससे कोई भी अछूता […]

कविताओं से गायब होता देश का अन्नदाता – मोनिका मीना

भारत की जनंसख्या का अधिकांश प्रतिशत कृषि पर निर्भर करता है। देश की अर्थव्यवस्था में सदैव कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। साहित्य में भी किसान एक जमाने से केन्द्र […]

तुलसीदास के ग्रंथों में भारतीय जनसंस्कृति का स्वरूप – कल्याण कुमार

हिंदी के मध्यकालीन युग से लेकर नवीनतम युग में महाकवि तुलसी एक ऐसे सूर्य है,जिनका तेज वर्तमान में छटाक मात्र भी मलीन नहीं हुआ है। भारतीय साहित्य की विभूतियों में […]

अमृतलाल नागर और कथा संसार – अतुल वैभव

अमृतलाल नागर हिंदी गद्य साहित्य के उन शिखर पुरुषों में गिने जाते हैं जिनके गद्य से हिंदी साहित्य ही नहीं बल्कि अन्य भारतीय भाषाओं का साहित्य भी समृद्ध हुआ है। […]

द्विभाषिकता एवं बहुभाषिकताः संदर्भ एवं प्रकृति – श्वेतांशु शेखर

भाषा का आविष्कार मनुष्य की महानतम उपलब्धियों में से एक है। मनुष्य ने इसके महत्त्व को हजारों-लाखों वर्ष पूर्व पहचान लिया था, इसलिए इसके विकास के लिए प्रयत्नशील रहा। भाषा […]

प्रेमचंद की कहानी-कला : डॉ. साधना शर्मा

‘कथा सम्राट’ प्रेमचंद का आविर्भाव हिंदी साहित्य में एक ऐतिहासिक महत्त्व रखता है। समकालीन सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक आन्दोलनों का उन्होंने अपने कथा साहित्य द्वारा नेतृत्व भी प्रदान किया और […]