
“जो समर्थ हैं और जो अँगरेज़ीदाँ बनकर, अनेक बातों में, अँगरेज़ी की नक़ल करना ही अपना परम धम्र्म समझते हैं, उनको कृपा करके किसी तरह जगा दीजिए। उन्हें अपने साहित्य […]

“जो समर्थ हैं और जो अँगरेज़ीदाँ बनकर, अनेक बातों में, अँगरेज़ी की नक़ल करना ही अपना परम धम्र्म समझते हैं, उनको कृपा करके किसी तरह जगा दीजिए। उन्हें अपने साहित्य […]

(कुबेरनाथ राय और विद्यानिवास मिश्र के विशेष सन्दर्भ में आदिमानव की अभिव्यक्ति का प्रथम उन्मेष किस रूप में हुआ यह कहना कठिन है | पुराकाल से मानव के मन में […]

वृंद अपने समय में दरबारी कवि थे। वृंद दरबारी जीवन और उसके तौर तरीके से भलीभांति परिचित थे। नीति सतसई की बहुत सी सुक्तियों में वर्णित राजनीतिक विचार दरबारी जीवन […]

जेम्स अगस्टन हिक्की ने 29 जनवरी 1780 में पहला भारतीय समाचार पत्र बंगाल गजट कलकत्ता से अंग्रेजी में निकाला। इसका आदर्श वाक्य था – ‘सभी के लिये खुला फिर भी […]

हिन्दी शब्द पर्यावरण ‘परि’ तथा ‘आवरण’ शब्दों का युगम है। ‘परि’ का अर्थ है- ‘चारों तरफ’ तथा ‘आवरण’ का अर्थ है- ‘घेरा’। अर्थात प्रकृति में जो भी चारों और परिलक्षित […]

समाज में एक ओर पतिव्रत की महिमा कठोर विधानों द्वारा समर्थित होकर बढ़ती है और दूसरी ओर सामंती जोम (शेखी) उस महिमा का अपने रस स्वार्थ के लिए रोज मखौल […]

संस्कृति किसी देश की जीवन शैली, आचार-विचार तथा सामाजिक-धार्मिक प्रवृत्तियों आदि का परिचायक होती हैं। प्रत्येक देश का साहित्य उस देश की सांस्कृतिक एकता तथा जनता की चित्तवृत्तियों को प्रकट […]

अपनी अमर वाणी से मानव जीवन को अभिनव दिशा प्रदान करने वाले निर्गुणपंथी संत महापुरूषों में गुरू रैदास अथवा रविदास का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। प्रभु के अनन्य […]

भाषा और साहित्य किसी भी प्रकार की भौगोलिक सीमाओं को स्वीकार नहीं करते क्योंकि साहित्य मानवीय अनुभवों की अभिव्यक्ति होता है। इन अनुभवों का काल एवं स्थान की सीमाओं से […]

हिंदी साहित्य का प्रारंभ एवं विकास निरंतर मिथकों से जुड़ा प्रतीत होता है । समय समय पर मिथकों की उपज साहित्य को नव आयामों से विभूषित करती रही है । […]