
जब हम उत्तर आधुनिकता की चर्चा करते हैं तो हमारे समक्ष प्रश्न उठता हैं कि उत्तर आधुनिकता क्या है? उसे कैसे समझा जा सकता है? क्या वह एक सामाजिक स्थिति […]

जब हम उत्तर आधुनिकता की चर्चा करते हैं तो हमारे समक्ष प्रश्न उठता हैं कि उत्तर आधुनिकता क्या है? उसे कैसे समझा जा सकता है? क्या वह एक सामाजिक स्थिति […]

साहित्य अपने सर्जक के देशकाल जनित अनुभवों की अभिव्यक्ति होता है। उसकी समकालीनता ही उसे शाश्वतता प्रदान करती है। साहित्य की अन्यविधाओं कीअपेक्षा कविता में यह अधिक समग्रता से रूपायित […]

सिनेमा विचारों की अभिव्यक्ति का प्रभावशाली माध्यम है। सिनेमा का उद्देश्य चाहें जो भी हो व्यवसाय/मनोरंजन करना, या कोई सामाजिक सन्देश प्रदान करना लेकिन उसका अपने समय के यथार्थ से […]

आज पर्यावरण की सारी समस्याएं इसी के इर्द-गिर्द घूमती नजर आती हैं। पर्यावरण के अंतर्गत जीव-जन्तु, वनस्पति, वायु, जल, प्रकाश, ताप, मिट्टी, नदी, पहाड़ आदि सभी अजैविक तथा जैविक घटकों […]

वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जो नव–उदारवादी ताकतों के द्वारा विकासशील मुल्कों के विकास के नाम पर अपने लाभ को हासिल और निरंतर बनाये रखने की व्यवस्था करता है | […]

हिंदी साहित्य में सर्वाधिक चर्चा के केंद्र में रहने वाले विलक्षण प्रतिभा के धनी मुक्तिबोध की छवि एक प्रगतिशील और संघर्षशील संश्लिष्ट कवि के रूप में अधिक प्रचलित रही है, […]

साहित्य समाज का दर्पण होता है। साहित्य किसी भी काल का हो, उनमें समाज का यथार्थ चित्राण होता है । लेखक समाज के साथ अपना तादात्म्य स्थापित करता है और […]

वर्तनाम समाज परिवर्तनशील दौर से गुजर रहा है। समाज एवं राष्ट्र के विकास के केंद्र में मूलत: व्यक्ति है, जब तक व्यक्ति का व्यक्तित्व निखरकर सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप नहीं […]

ठाकुर कवि-ठाकुर रीतिकालीन रीतिमुक्त स्वछंद प्रेम परिपाटी के कवि थे । ये जैतपुर (बुंदेलखंड)के राजा केसरी सिंह के दरबारी कवि थे । इनका जन्म सन1770 के आसपास माना जाता है […]

उपन्यास कथा साहित्य की आधुनिक विधा है। इसके अंतर्गत जीवन समग्र के रेशे-रेशे के यथार्थ को रचनाकार अपनी अद्भुत कल्पना के साथ बुनता है और एक अनोखा विश्व पाठकों के […]