
आज से नौ दशक पहले 27 सितम्बर, 1925 की तारीख को विजयादशमी के शुभ अवसर पर नागपुर में बीस-पच्चीस लोगों को इकठ्ठा कर जब छत्तीस वर्षीय सामान्य कद-काठी के डॉ […]
आज से नौ दशक पहले 27 सितम्बर, 1925 की तारीख को विजयादशमी के शुभ अवसर पर नागपुर में बीस-पच्चीस लोगों को इकठ्ठा कर जब छत्तीस वर्षीय सामान्य कद-काठी के डॉ […]
बीसवीं सदी में जनसंचार को नया परिचय मिला जिसमें रेडियों पत्र-पत्रिका, टेलीविजन न सिर्फ मनोरंजन और ज्ञानवर्धन का साधन बना बल्कि इसने ही भारत के जनसंचार के ढाँचे को खड़ा […]
इक्कीसवीं सदी पूरे विश्व में अनेकों चुनौतियाँ ले कर आया है। गरीबी, कुपोषण, आतंकवाद, प्रदूषण और ऐसी न जाने कितनी चुनौतियों से इस सदी के मानव को दो चार होना […]
सुबह-सुबह आंख खुली तो पहली नजर मोबाइल खोजती नजर आई। बगल में ही रखे मोबाइल की स्क्रीन लाइट ने नींद का नशा कुछ कम किया और रही बची कसर फेसबुक […]
कुसुम मेघवाल के अनुसार- ” दलित का शाब्दिक अर्थ है कुचला हुआ । अतः दलित वर्ग का सामाजिक संदर्भो में अर्थ होगा वह जाति समुदाय जो अन्यायपूर्वक सवर्णों या उच्च […]
“संचार मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता है. आधुनिक मनुष्य के बारे में तो यह बात सौ प्रतिशत लगू होती है. मनुष्य जिस समूह, जिस वातावरण में रहता है वह उसके बारे […]
आज जब संसार के सिमट कर नजदीक आने की बात की जाती है,तो इसके पीछे संचार क्रांति की महत्ती भूमिका दृटिगत होती है। औद्योगिक क्रांति के बाद सबसे बड़ी क्रांति […]
विकास और राष्ट्र के नाम पर उपजे मौसमी पक्षकारों की जमात की पैन्तरेबाजी से जनता बस ‘सक्रिय-मूकदर्शक’ बनाई जा रही है !! आज सरहद की सुरक्षा में लगे सैनिकों के […]
न्यू मीडिया का मतलब मीडिया के क्षेत्र में कुछ नयापन से है…. इसमें प्रतिदिन कुछ न कुछ जुड़ता ही चला जा रहा है.. अगर थोड़ा पीछे मुड़ कर देखे तो […]
रीतिकालीन साहित्य को न्यू मीडिया से जोड़कर देखना कहीं न कहीं अजीब भी लग सकता है लेकिन इन दोनों की पारस्परिकता पर ध्यान दें तो वह महत्वपूर्ण भी लगता है। […]