1 जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू हो गया और GST केवल कर न होकर डिजिटल युग में प्रवेश करने का माध्यम है और यह माध्यम तभी संभव हो सकता है जब कमोबेश हम न्यू मीडिया को समझ पाएं। न्यू मीडिया आज के जीवन की वह जरूरत है जिसको दर किनार कर व्यक्ति आगे बढ़ने की कल्पना भी नहीं कर सकता। सुबह उठने से लेकर रात सोने तक हम किसी-न-किसी रूप में न्यू मीडिया से जुड़े रहते हैं।न्यू मीडिया मूलतः मीडिया का ही एक नया रूप है जो बिना इण्टरनेट के चल नहीं सकता। इण्टरनेट आज के समय की मूलभूत आवश्यकता है जिसने सुदूर बैठे एक व्यक्ति को दूसरे के निकट लाने का काम किया है। इण्टरनेट के प्रचार-प्रसार और निरंतर तकनीकी विकास ने एक ऐसी न्यू मीडिया जिसे हम ई-मीडिया, वेब मीडिया य सोशल मीडिया के नाम से जानते हैं को जन्म दिया है जहां अभिव्यक्ति के सभी रूपों चाहे वह दृश्य हो, श्रृव्य हो या पाठ्य हो सभी रूपों एक साथ मात्र कुछ पल में प्रसारित कर सकते हैं और न केवल प्रसारित बल्कि प्राप्त जानकारी पर त्वरित प्रतिक्रिया भी दे सकते हैं और चाहे तो उसे वीडियो के रूप में भी देख सकते हैं। न्यू मीडिया का दायरा तय कर पाना मुश्किल है क्योंकि इसका क्षेत्र बहुत विस्तृत है। न्यू मीडिया से अभिप्राय केवल ई-पत्रिका से ही नहीं है। बल्कि रोज़मर्रा के इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं कि खरीदारी से लेकर नौकरी तथा विवाह हेतु सुयोग्य वर-वधू तलाशने वाले वेब साइट्स तक इसकी पहुंच है। निरंतर बढ़ती तकनीकी उपयोगिता के कारण न्यू मीडिया मायाजाल की तरह हमारी जीवनशैली में प्रवेश कर चुकी हैं एक नज़र न्यू मीडिया के प्रमुख प्रचलित रूपों पर डालें तो सभी प्रकार कि वेब साइट,ब्लॉग,पोर्ट्ल,सभी नेटवर्क साइट,मोबाइल फोन में रिसीव होने वाली सभी सामग्री,ई-बैंकिग,ई-मेल इत्यादि सभी कुछ न्यू मीडिया के अंतर्गत आते हैं इतने सब के बावजूद भी हम इसकी सीमाओं को निर्धारित नहीं कर सकते हैं केवल इतने भर में ही न्यू मीडिया को नहीं समेटा जा सकता है अभी भी इसमें बहुत कुछ जुड़ना बाकी है और यह निरंतर जुड़ता ही जाएगा यही कारण है कि इतने समय से इसके उपयोग के बावजूद भी आज भी हम इसे न्यू मीडिया के नाम से पुकारते हैं और आगे भी हम न्यू मीडिया को इसी नाम से जानेगें यह कभी पुरानी होने वाली वस्तु नहीं हैं इसने स्वंय को सृजनशील बनाया हुआ है जो निरंतर होती नई प्रगति को अपनाता है यह भूतकाल न होकर सदैव वर्तमान रहता है। समय कि रफ्तार के अनुसार ही दौड़ता है।
न्यू मीडिया पारम्परिक मीडिया से कहीं विस्तृत है पारम्परिक मीडिया य मास मीडिया शब्दों के इस्तेमाल से यह केवल एक माध्यम पर आश्रित रहता है जैसे कागज पर लिखा हुआ तो प्रिंट……टीवी,रेडियो पर प्रसारित होने वाला इलैक्ट्रॉनिक। न्यू मीडीया इन सब से मुक्त एक आज़द पंछी है जो असीम गगन में पंखों को पसार कर हौसलों की उड़ान भरता है।
न्यू मीडिया ने हाल ही में विश्व में हुए किताने ही बड़े आदोलनों में अपनी भूमिका निभायी है और साथ ही साथ इसकी खासियत भी है यहां उपयोगकर्ता,पत्रकार,संपादक,प्रकाशक अलग-अलग न होकर बल्कि एक ही व्यक्ति है । किसी भी घटना,दुर्घटना,खेल संबधित हार-जीत इत्यदि सभी से संबधित खबरें हमें सबसे पहले इण्टरनेट के माध्यम से प्राप्त होती हैं। न्यू मीडिया के इस दौर ने प्रत्येक सधान स्पन्न व्यक्ति को पत्रकार की श्रेणी में ला दिया है जो मात्र एक ट्वीट से कितनी सैकडों-करोडों लोगों तक सूचना पहुंचा सकता है।
न्यू मीडिया ने हमारी दिन-प्रतिदिन की मूलभूत आवश्यकताओं कि पूर्ति हेतु होने वाली भागदौड़ को कम करके जीवन को बहुत हद तक सरल बना दिया है। कुछ लोग न्यू मीडिया के दुष्प्रभाव को अत्याधिक मानते हैं। हालांकि यह एक सच है कि न्यू मीडिया पर प्रसारित होने वाली सभी सामग्री/सूचना सदैव 100 प्रतिशत सत्य नहीं होती है एक ज़रा सी फेक न्यूज़ भी कुछ पल में पूरे समाज में फैलकर कई बार अराजकता और सम्प्रदायिकता का कारण भी बन जाती है ऐसे सावधान रहने कि आवश्यकता है यह बहुत हद तक हमारा उत्तरदायित्व है कि समझदारी से काम लें और पूरी जांच-पड़ताल के बाद ही किसी प्रकार कि कोई प्रतिक्रिया दें। न्यू मीडिया जहां एक ओर हमारे जीवन को सरल बनाता है साथ ही जिम्मेदारी से काम करने के लिये सचेत भी करता है।

डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय

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