1. प्रेम

नादान प्रेमी-प्रेमिका ने
खा ली कसमें
एक साथ जीने मरने की
रिश्ते नाते सब भूल गए
खो गए दोनों एक दूजे में
एक दूसरे के खुशी की खातिर
जाति धर्म के बंधन तोड़ा
रिश्ते नाते सब को छोड़ा
केवल एक दूजे के लिए
सही गलत की फैसला
दोनों मिलकर करने लगें
अपना-अपना कर्तव्य भूल गए
प्रेम रस में डूब गए
दुनिया को रिश्ता मंजूर नही
कर दिए दोनो को अलग-अलग
प्रेमी-प्रेमिका ने जुदाई को
किया बर्दास्त नहीं
एक ने रेल के नीचे सर रख दी
दूसरे ने जहर पी ली
न जाने इस उम्र में
ऐसा क्या होता हैं ?
हम सब कुछ भूल जातें हैं
प्रेम पाठ में डूब जाते हैं ।

2. रंग

होली में रंग अनेक गिरे
पर रंग क्यों न एक हुए
ये रंग-रंग की लड़ाईयाँ
हैं रंगो से परिवेश भरे
डालो ऐसे रंग की
रंगो का ये द्वेष मिटे ।
भूलकर अपने गीले-शिकवे
एक दूजे से प्रेम करें
रंगो में जो बँटे हुए हैं
मिलकर इन्द्रधनुष बने
डालो ऐसे रंग की
रंगो का ये द्वेष मिटे ।
छोड़कर भेद-भाव रंग रूप का
आपस में हम गले मिले
इन रंगो से ऊपर – उठकर
शिक्षित और सभ्य बनें
डालो ऐसे रंग की
रंगो का ये द्वेष मिटे ।
बदले न रंग गिरगिट की तरह
ऐसा हम प्रण करें
अगर बदल ली रंग अपना तो
तितली की तरह ही रंग बदलें
डालो ऐसे रंग की
रंगो का ये द्वेष मिटे ।

सुभाष कुमार कामत
सी•एम°कालेज , दरभंगा (बिहार)

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