दिखावे की होड़ भी
लगती मृगतृष्णा सी
जब पैसों के पीछे
भागता है इंसान।
समय और पैसा
जैसे रिश्तों से ज्यादा
अहमियत रखता हो
तभी दौड़ -भाग के खेल में
हो जाते हैं रिश्ते कमजोर
और तो और
दिखावे की होड़ में
उड़ने पर
जल जाते
उम्र के पंख।
शायद, इसी दौड़ में
अपनों से रिश्ते
पीछे छूट जाते
जब रिश्तों का अपनत्व
हिचकियों से याद दिलाता।
तब समझ में आती
वक्त की नजाकत
जो कभी थी
रिश्तों से सुकून भरी।
संजय वर्मा “दृष्टि “
मनावर जिला -धार (म प्र )

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *