क्यों मौन हैं

क्यों मौन हैं हम

सब चीखते-चिल्लाते रहें

पर हम मौन ही रहें खड़े |

क्या बोले कोई सुनता ही नहीं ,

अतः हम मौन ही रहें खड़े |

सामने ही

अपराध कर निकल गए

हम ठगे मौन ही रहें खड़े |

व्यापारी ने की धांधली

देखे हम

फिर भी मौन ही रहें खड़े |

हमसे कम नम्बर पाकर भी

हथिया ली हमारी पदवी

लाचार, बेबस होकर

हम मौन रहें पड़े।

हर चीज में ही तो

है हेरा-फेरी

क्या करें

चुप रहने में ही भलाई

समझ हम

मौन ही रहें खड़े |

हमारी ही चीज ले

हमको ही

आँख दिखलाने लगे

फिर भी हम !

हम मौन ही रहें खड़े |

हमें लगा मौन रहना

हमारा बचाव है पर

लोग तो हमारे मौन को

कमजोरी समझ बैठे |

कैसे रहते मौन तब

जब हमारी ही

इज्जत को

लोग सरेआम उछालने लगे |

चुप रह आज तक जो सहते रहें

आज चीखकर सारा गुबार फूट पड़ा |

मौन को

जो हमारी कमजोरी समझी थी दूजों ने

आज हम उसी को अपनी ताकत बना बैठे |

अब सबको देते हैं सीख

मौन रहो

पर एक हद तक

नहीं सहो

किसी की भी अहेतुक बात

कहो आखिर क्यों रहें मौन हम

कहो आखिर कब तक रहें मौन हम

 

सविता मिश्रा

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