(क) ऋण

वैसे तो दोनों का नाम
श से प्रारम्भ होता था
एक शोषित वर्ग का प्रतिनिधित्व करता था
और दूसरा शोषक वर्ग का
दोनों ने ही ऋण लिया था
एक ने ऋण लिया कि इसलिए
कि बंजर धरती से उगा सके कुछ ज्यादा अन्न
भर सके कुछ लोगों का पेट
पूरा कर सके पथराई आंखों से देखे गये सपने
तो दूसरे ने लिया ऋण कि पूर्ण कर सके हवाई महत्वाकांक्षा
उन तमाम हसरतों को जो नवाबी थी।
और बन सके तमाम दौलत का स्वामी
ऋण न चुका पाने की स्थिति में
एक ने प्राण त्याग दिया और दूसरे ने राष्ट्र।

 

(ख) और मैं लिखता रहूँगा कविता तुम्हारी याद में ...

ओस की बूंद आकाश से गिरकर
फूलों और पत्तियों पर ठहर जायेगी।
रात भर रोया है चांद किसी की याद में,
यह कहानी धरा और जगत को सुनाएगी।
कुछ प्रेम पत्र सही पता न मिल पाने पर
वापस लौट आयेंगें।
विरह की आग में तपता हुआ बसंत
प्रेम पत्रों को तकिये के सिरहाने रख आंसू बहायेगा।
और आंसुओं की बूदों पर कैनवस पर
लिख दी होगी कोई रुमानी कविता
जिसने कहा होगा कोई संदेशा कोई मनुहार
जो नहीं पहुंच पाया होगा तुम्हारे पास
और वह निराश गीत गज़ल के शब्द
लौट आए होंगे करके मनुहार
चांद थककर बादलों की छांव में सो जाएगा
और मैं लिखता रहूँगा कविता यूँ ही
तुुम्हारी याद में ….

राकेश धर द्विवेदी

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