तूने क्यों मुझे इस रिश्ते से आज़ाद कर दिया
ऐसा क्या गुनाह किया था
जो मेरा ही तिरस्कार कर दिया
ना मोह थी
ना माया थी
मैं तो तेरा ही साया थी
फिर क्यों
तूने मुझे इस रिश्ते से आज़ाद कर दिया
एक मौका तो दिया होता
कहकर बेटी पुकारा तो होता
खरी उतरती मैं भी तुम्हारी उम्मीदों पर
अगर तुमने रिश्तों पर पानी न फेरा होता
जन्म से पहले ही तुमने तय कर लिया
लड़की होना मेरा गुनाह हो गया
मैं तो तेरा ही साया थी
फिर क्यों
तूने मुझे इस रिश्ते से आज़ाद कर दिया
अंश थी मैं तुम्हारी
वंश भी बन कर दिखाती
अगर
एक बार दुनिया में आने दिया होता
हिम्मत बन मैं साथ खड़ी होती तुम्हारे
एक बार आजमाया तो होता
तुम भी तो बेटी हो किसी की
फिर क्यों
एक बेटी का तिरस्कार कर दिया
मैं तो तेरा ही साया थी
फिर क्यों
तूने मुझे इस रिश्ते से आज़ाद कर दिया
दफ़नाकर मुझे कब्र में
क्या तेरी रुह नहीं कांपी होगी
करके अपने ही अंश का तर्पण
क्या तेरा दिल नहीं पसीजा होगा
एक बार तो मुझे अपनाया होता
तो मैंने भी अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया होता
मैं तो तेरा ही साया थी
फिर क्यों
तूने मुझे इस रिश्ते से आज़ाद कर दिया
मैं तो हिस्सा थी
तेरी काया का
एक पल के लिए ही सही
मेरे बारे में सोचा तो होता
एक बार माँ का रिश्ता निभाया तो होता
एक बार सही तूने अपने दिल को समझाया तो होता
क्यों तूने अपने ही भ्रूण का तिरस्कार कर दिया
मैं तो तेरा ही साया थी
फिर क्यों
तूने मुझे इस रिश्ते से आज़ाद कर दिया
आरती