पूछा…… क्‍यों……. नहीं ?

अम्‍मा………..अम्‍मा………अम्‍मा जाऊँ ?
अम्‍मा……….मॉं………….. माई जाऊँ ?
देख मैं अकेला तेरे खाने का
कर रही हूँ तैयारी
ठंडी होने से पहले
बिन बुलावे से आना मेरा लल्‍ला – जाओ ।

अम्‍मा ………… जाऊँ ?
कल छुपाए रखा था अपने हाथ की लाली,
क्‍यों खेलता है ऐसा खेल ।
रक्‍त – रंग से आह – दर्द निकले,
वह खेल – रंग से ना खेल लल्‍ला……….. जाओ ।

अम्‍मा……….जाऊँ ?
तू……….तू……..बस मेरा लल्‍ला ! रह लल्‍ला ।
क्‍यों घूमते हो नौटंकी की मंडली में ।
सुना हूँ तुम कोई खुदी बोस की नकल करता है,
लोग कहते हैं……तुम गाते हो एक गान ।

    

मॉं को खुश रखने को सुनाते हो एक दास्‍तान,
माई जाऊँ ? घूरे आसे
माई जाऊँ ? घूरे आसे ।
सब कहते हैं यह बड़ा गान है
तिरंगे पर बचपन की जान है ।
बचपन में क्‍यों गावत ये गान लल्‍ला,
तु…….बस मेरा लल्‍ला रह, लल्ला ।
लल्‍ला । तू दौड़त – दौड़त कहा हैं जावत ।
खून रिसे तलवे से,
कील – कॉंच गुथे हैं तलवे में
क्‍यों दौड़त है तू खेत – खलिहान ।
तू दूर नजर से न जा बार-बार
पास रहने में ही मेरी आस है,
मेरी सांस है और मेरी प्राण ।

अम्‍मा…… अम्‍मा मैं आऊँ ?
लल्‍ला हरी वर्दी कहॉं से सिलाई
हरी वर्दी पहन रंगीला छोरा तू लागे ।
लल्‍ला हरी वर्दी टॉंग दे खिड़की पर

धोकर फिर दूँगी ।
शादी में पहनना छोरी की शादी में ।
अम्‍मा…….. अम्‍मा…….. अम्‍मा जाऊँ ?
लल्‍ला तू जावत क्‍यों हैं परदेश
हरी वर्दी पहन माथे पर पेटी
मैं अब क्‍या खाऊँगी तेरे बिन
तू जल्‍दी मिलन आना अपनी अम्‍मा से ।
टेलीफोन पर मेरा पता पूछो
वो बोले मैं धरती के जन्‍नत से बोलूँ
मैं डपटकर बोलूँ
मैं……मैं……..बुढि़या ही लल्‍ला की अम्‍मा
क्‍यों पूछत है बार – बार
अम्‍मा कभी न बदले लल्ला के ।
वो बोले लल्ला चला गया ऊपर को
मैं बोलूँ लल्ला जावे पर आवे जरूर ।
मैं पूछूँ लल्‍ला के पता तो बता दो
मैं पूछूँ ! लल्ला के टेलीफोन तो बता दो
मैं पूछूँ ! लल्‍ला के कपड़े के पहचान तो बता दो
मैं पूछ ! मैं भी अभी ऊपर जावूँ

मैं पूछ ऊपर दूर से देख पहचानू
हरे वर्दी का रंगीला ही होवे हमार लल्‍ला
वस मैं इतना पूछूँ मेरे से बिन पूछे क्‍यों गयों ?
वो बोले उधर वो मिलने गयो
अपने बड़े भाई खुदीराम बोस से
वो गए गले मिलन खुदीराम से
वो गान – कविता पूरन करने गयो खुदीराम संग
मैं बोलूँ लल्ला जावे पर आवे जरूर
गायन -गावत रहे घर-घर में
अभी गुंजत वो गान
अम्‍मा अभी जावे ? घूरे आसे ।
अम्‍मा अभी जावे ? घूरे आसे ।
हरी वर्दी वाला रंगीला घूरे न आसे ।
ओ लल्‍ला — लल्‍ला— लल्‍ला —- मैं भी आऊँ
लल्‍ला — बेटा — बिटवा — मैं आ जाऊँ ।

मनोज कुमार

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