किया जिसने तुझसे किनारा बहुत है
मोहब्बत यक़ीनन वो करता बहुत है

हँसी में उड़ा कर ज़माने की बातें
तेरा नाम लिख कर मिटाया बहुत है

चलो चंद जुगनू ही हाथों पे रख लें
सुना है कि आगे अँधेरा बहुत है

हो तुमको मुबारक ये फिरक़ापरस्ती
मुझे तो वतन का सहारा बहुत है

वो अपनी हदें पार करता नहीं है
जिसे ख़ूँ पसीने का थोड़ा बहुत है

बलजीत सिंह बेनाम
संगीत अध्यापक
 हिसार

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