1. घातक जाल बिछाये हैं
घर – बाहर या प्लॉंट सड़क, हर जगह मौत के साये हैं।
हमने ही तो आँख मूँदकर, घातक जाल बिछाये हैं।।
साफ सफाई रखकर के, बीमारी दूर भगानी है।
जीवन जीने हेतु जरूरी धूप हवा शुचि पानी है।
वृक्षों को हम काट काटकर, बादल दूर भगाये हैं।
हमने ही तो आँख मूँदकर, घातक जाल बिछाये हैं।।
ध्यान समय का रखते हैं तब, काम समय से होता है।
जल्दीबाजी जो करता है, अपना जीवन खोता है।
दुर्घटना की रोकथाम में, पीपीई अपनाये हैं।
हमने ही तो आँख मूँदकर, घातक जाल बिछाये हैं।।
साथ मशीनों के रहकर ही, हम सब अक्सर जीते हैं।
नशा मुक्त हो शान्त हृदय से, सोते खाते पीते हैं।
होशोहवास में रहना है, सहकर्मी को समझाये हैं।
हमनें ही तो आँख मूँदकर, घातक जाल बिछाये हैं।।
बायीं दिशा देखकर ही तो, हम सड़कों पर चलते हैं।
जो नियमों को नहीं मानते, घायल होते, मरते हैं।
फर्स्टएड की ट्रेनिंग लेकर, साथी की जान बचाये हैं।
हमने ही तो आँख मूँदकर, घातक जाल बिछाये हैं।।
2. शिव स्तुति
हे महादेव   हे शिवशंकर, हे आशुतोष हे   गिरिवासी ।
हे जगद्नियंता जगपालक, हम हैं अबोध अनुचर दासी ।।
मद मत्सर माया मोह हमें, अपने फेरे में उलझाये ।
इस अन्तहीन से अंधकूप में, समझ नहीं कुछ भी आये ।।
सकल लोक आलोक चराचर, संचालित होते हरि कर से ।
जीव जन्तु देवासुर किन्नर, माया प्रेरित हैं हरिहर से ।।
निज कर्मों का करके अर्पण, बाबा के द्वारे हम आए ।
ठुकराओ चाहे अपनाओ, अवध आप से आस लगाए ।।
3. हमारे भोले बाबा
(भगवान शिवशंकर पर आधारित कुंडलिया)
बाबा भोलेनाथ की, महिमा अपरम्पार ।
आशुतोष बनकर किये, सदा जगत उद्धार ।।
सदा जगत उद्धार करें शिव औघड़ दानी ।
मन वांछित परिणाम दिलाते हर बर्फानी ।।
बेलपत्र के साथ, भंग के गोले, बाबा ।
सुन लो अवध पुकार, हमारे भोले बाबा ।।
डॉ. अवधेश कुमार ‘अवध’
गुवाहटी

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