बचपन

 वह सौंधी सी खुशबू

वह गाँव की चमक

वह मिट्टी की महक

मिट्टी का उड़ना

अंगों का रंगना

वह प्यारी सी-डाली

छोटी-सी क्यारी

                                               उन गायों का चलना

छोटे से ताल में

मछलियों का मचलना

सरसों की झाड़ी

लगती थी प्यारी

उन पत्तियों का हवा में उड़ना

बातों को इशारों में कहना

वह अमियाँ की डाली

लगती थी प्यारी

चुपके से खाना

फिर मुँह को बनाना

उन वर्षा की पानी में

यूँ भींग जाना

फिर एक नन्हा-सा

बहाना बनाना

बैलों की गाड़ी की मस्त सवारी

वह गुड़ का ढेला

वह गाँव का मेला

अँगीठी से सर्दी भगाना

कैसा था सुहाना

बचपन का जमाना

 

कंचन पाण्डेय
दिल्ली पब्लिक स्कूल
 नेपाल

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