
एक बार भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता और साहित्य अकादेमी के संयुक्त साहित्य आयोजन में भाग लेने मैं कोलकाता गया हुआ था। कार्यक्रम शुरू होने के एक दिन पहले मैं अपने […]
एक बार भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता और साहित्य अकादेमी के संयुक्त साहित्य आयोजन में भाग लेने मैं कोलकाता गया हुआ था। कार्यक्रम शुरू होने के एक दिन पहले मैं अपने […]
आज वह दिन बहुत याद आ रहा है जब काम के लिए जाते समय डब्बा बांधते हुए रमा के चेहरे पर हल्की मुस्कान थी। पता लग रहा था कि वह […]
स्त्री को बेदिमाग या ‘इमोशनल फूल’ कहकर उसकी निंदा करना बहुत ही उपहासास्पद है। या यूं कहना कि उनमें दिमाग ही नहीं होता, यह केवल समाज की संकीर्ण मानसिकता ही […]
कुछ विद्यार्थी इन दिनों बेहद याद आते हैं। कुछ माह पहले मुझे टेल बोन फ्रैक्चर हुआ, डॉ० ने तीन माह के लिए बेड रेस्ट के लिए कहा। कॉलेज जॉइन करना […]
वर्तमान फेसबुक,वाट्सअप,इंस्ट्राग्राम ने टीवी,वीडियो गेम्स, रेडियो आदि को लॉकडाउन में चाहने लगे।कहने का मतलब है कि दिन और रात इसमें ही लगे रहते हैं । यदि घर पर मेहमान आते हैं […]
समय की मांग कहो या संस्कृति का स्वाभिमान वह अब लौट रहा है। भारत अब लौट रहा है । वह स्वयभू होने को है। हाँ, हाँ! वह स्वयंभू पहले से […]
सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मा कश्चिद् दुःख भागभवेत..। हमारे देश में ईश्वर से प्रार्थना के दौरान इस श्लोक का पाठ भी किया जाता है। और […]
हर दिन कुछ मिनट बड़ा बदलाव ला सकते हैं। सामान्यतः लोगों के लिए अपने दिन से समय निकालना मुश्किल होता है लेकिन हमें इस तरह की अनावश्यक बहानों से बचना […]
हिंदी साहित्य और डायरी लेखन का आरंभ भामह नाम के आचार्य ने ‘सहित’ शब्द का प्रयोग 6 वीं शताब्दी में पहली बार किया था,उनके अनुसार जो कुछ भी रचनाएं कविता,पद्य,गद्य […]
मैत्रेयी पुष्पा का उपन्यास चाक जहॉं उनके उपन्यास इदन्नमम का प्रगतिशील विस्तार है, वहीं अपने में स्वतंत्र भी। गांव के समाज में नारी की पीड़ा तथा उसके संघर्ष को वर्णित […]