प्रतिरोध का सिनेमा वाया कड़वी हवा – तेजस पूनिया

प्रदूषण हर तरह का हानिकारक होता ही है उसी के परिणामस्वरूप हमें और कई गम्भीर परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं । वर्तमान में तेजी से बदलते हमारे देश भारत में […]

पीयर रिव्यू तथा प्रकाशन की नैतिकता

इस जर्नल में उन्हीं आलेखों पर प्रकाशन हेतु विचार किया जाएगा जो सर्वथा मौलिक होंगे, साथ ही लेखक द्वारा प्लेगरिज्म (साहित्यिक चोरी) से वंचित होने का घोषणा-पत्र संलग्न होगा। इस […]

सहचर ई-पत्रिका की आचार नैतिकता

इस ई-पत्रिका में उन्हीं आलेखों पर प्रकाशन हेतु विचार किया जाएगा जो सर्वथा मौलिक होंगे। इस ई-पत्रिका में प्रकाशनार्थ जो भी आलेख लेखकों द्वारा प्रेषित किए जाएं, वे यह सुनिश्चित […]

कबीर की सामाजिक चेतना : डॉ. साधना शर्मा

सामान्यतः सामाजिक से हमारा तात्पर्य किसी देश एवं काल विशेष से संबंधित मानव समाज में अभिव्यक्त परिवर्तनशील जागृति से होता है। इसका उद्भव सामाजिक अन्याय, अनीति, दुराचार, शोषण की प्रक्रिया […]

अनुक्रमणिका

संपादकीय – डॉ. आलोक रंजन पांडेय बातों-बातों में हबीब तनवीर के संदर्भ में कपिल तिवारी से ऋतु रानी की बात-चीत शोधार्थी पाठकों से संवाद करती स्वयंप्रकाश की कहानियाँ : डॉ.शशांक […]

आचार्य शिवपूजन सहाय की संपादन कला – डाॅ. सुनील कुमार तिवारी

आधुनिक संपादन कला के वैशिष्ट्य के लिए जिन बिंदुओं की महत्त्वपूर्ण माना जाता है, उस वैज्ञानिक आधार की पृष्ठभूमि शिव पूजन सहाय द्वारा संचालित ‘हिमालय’ में उस समय देखा जा […]

  साहित्य में स्त्री विमर्श का महत्त्व और रघुवीर सहाय की रचनाएँ – दिनेश कुमार यादव

साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है। साहित्य एक-दूसरे के दुःख में दुःखी होना और एक-दूसरे के सुख में सुखी होना सिखाता है। वह संपूर्ण मनुष्य का कल्याण हो […]

सिनेमा में हिन्दी भाषा का स्वरूप – अर्चना उपाध्याय

हिन्दी सिनेमा का आरम्भ पारसी थिएटर की देन है। उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम दशक में महाराष्ट्र और गुजरात में पारसी थिएटर का जन्म माना जाता है। इसके आरंभिक रंगकर्मियों में […]

हिंदी का लोक व्यवहार – डॉ. ममता सिंगला

आदि मानव की विकास परम्परा का आधार मूलभूत आवश्यकता के अतिरिक्त भाषा भी मुख्य आधार रहा है । क्योंकि भाषा ही वह माध्यम है जिसके द्वारा एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति […]