प्रधानमंत्री के नाम ख़त – दुर्ग विजय चन्द

माननीय प्रधानमंत्री जी, भारत सरकार, आप देश को विकास के पथ पर ले जाने का संकल्प दोहनराते हैं, सबका साथ, सबका विश्वास एवं सबका विकास। श्रीमान प्रधानमंत्री जी, जिस प्रकार […]

भारतीय सिनेमा : नशे का शिकार युवा वर्ग (सन्दर्भ उड़ता पंजाब, राधे – योर मोस्ट वांटेड भाई) – मीनाक्षी गिरी 

सिनेमा मूक फिल्मों से होता हुआ श्वेत श्याम और रंगीन व थ्री डी तक आ पहुंचा है जिसमें मनोरंजन से होता हुआ सिनेमा विचारात्मक या प्रतिरोध का रूप ले चुका […]

समकालीन मलयालम सिनेमा और स्त्री – विनीजा विजयन

साहित्य को समाज का दर्पण माना गया है, ठीक उसी तरह सिनेमा समाज का चित्रण करने वाला तकनीकी कलारूप है। देश के इतिहास निर्माण में सिनेमा का भी बड़ा योगदान […]

समाज को प्रभावित करता सिनेमा मनोविज्ञान – डॉ. प्रेरणा चतुर्वेदी

सिनेमा वर्तमान युग में समस्त कलात्मक अभिव्यक्ति के माध्यमों में सबसे सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। किसी भी जाति, धर्म, वर्ग के लोगों को सीधे प्रभावित करने में यह पूर्णतया […]

फिल्म चाहे जिस भाषा का क्यों न हो उसमें साहित्य दिखना चाहिए – दिलीप कुमार शर्मा ‘अज्ञात’ 

बंगाली फिल्मों के बारे में कुछ कहने से पहले मैं समझता हूँ, एक बार बांग्ला साहित्य के बारे में बात कर लेनी चाहिए। बांग्ला भाषा और साहित्य का काल विभाजन […]

सिनेमाई परदे पर उभरता सामाजिक मूल्यों का रीमेक – डॉ. नीतू गुप्ता

समस्त प्रकृति परिवर्तनशील है। यदि इसमें समय-समय पर परिवर्तन ना हों तो इसकी एकरूपता, नीरसता बनकर रह जाएगी। प्रकृति के साथ साथ परिवर्तन का यह नियम समाज और सामजिक मूल्यों […]

रॉग नम्बर ( एम.एस.मूर्ति का कन्नड भाषा से अनुदित लेख ) – डॉ. गगन कुमारी हळवार तथा डॉ. हेमावती

दोपहर का खाना खत्म कर, मै अपने कलाकृतियों पर नज़र दौडा रहा था । टेलीफोन की घण्टी लगातार बज़ रही थी । हेलो…कौन ? मैने पूछा ’कौन बात कर रहा […]

‘सिनेमा से सम्वाद’ (मनमोहन चड्डा) – विकास कुमार

हिन्दी सिनेमा के वरिष्ठ सिने समालोचक, फ़िल्म समीक्षक व अध्येता और राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित फ़िल्म इतिहासकार मनमोहन चड्डा की सद्य प्रकाशित पुस्तक ‘सिनेमा से सम्वाद’ साक्ष्य प्रकाशन से […]

प्रेम के आइने में पंचलैट – नवीन कुमार जोशी

हमने संसार जगत में फिल्में तो बहुत देखी है लेकिन ऐसी फिल्म नहीं। जिसकी साहित्य दृष्टि से कहानी भी इतनी उत्कृष्ट और सशक्त हो और वह सबका मन भी हर्षित […]

अनुक्रमणिका

अनुक्रमणिका संपादकीय  डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय बातों – बातों में  हिंदी पढ़ाते हुए मैं मातृभूमि के प्रति कर्तव्य का निर्वहन कर रही हूँ : हंसादीप (कनाडा की हिंदी कथाकार हंसादीप […]