भूख की आग और भीख की बेबसी (‘भूख’ कहानी के विशेष सन्दर्भ में) – डॉ. मधुलिका बेन पटेल

चित्रा मुद्गल का ‘भूख’ कहानी संग्रह 2001 ई. में प्रकाशित हुआ, जिसमें ‘इस हमाम में’ कथा संकलन की सारी कहानियां शामिल की गयी. इसमें ‘भूख’ शीर्षक कहानी भी शामिल है. […]

मंझन के काव्य में प्रकृति का स्वरूप – रेखा

प्रकृति व मनुष्य का घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है । प्रकृति मानव जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग है । प्रकृति है तो मनुष्य का अस्तित्व है और यदि प्रकृति चाहे तो मनुष्य […]

विंकेलमान, ग्योटे और प्राचीन यूनान – प्रशांत कुमार पाण्डेय

साहित्य के इतिहास में जब भी वाइमार क्लासिक की बात की जाती है, तो उसमे ग्योटे और शिलर के पहले विंकेलमान का नाम आता है. हालाकि बहुत से विद्वान यह […]

केदारनाथ सिंह की कविताओं में पर्यावरणीय चेतना – त्रिनेत्र तिवारी 

केदारनाथ सिंह समकालीन हिंदी कविता के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। ‘तीसरे-सप्तक’ से अपनी काव्य-यात्रा की शुरुआत करने वाले कवि केदारनाथ सिंह ने लगभग साठ वर्षों तक अपनी कविता यात्रा की। […]

भूमंडलीकरण, साहित्य और समाज – मनोज चौधरी

भूमंडलीकरण की वास्तविक परिभाषा उसके शब्द से ही स्पष्ट होती है। भू अर्थात् पृथ्वी या धरती, मंडलीकरण अर्थात् मंडल में परिवर्तित कर देना। चूंकि भूमंडलीकरण शब्द आर्थिक क्षेत्र से सम्बन्ध […]

त्रिलोचन की ‘धरती’ का बिम्ब विधान – कुमारी प्रीति मिश्रा

काव्य में अकथ्य की कथनीयता और मौन का निनाद वर्ण्य विषय के भावपक्ष को पुष्ट करने वाले प्रधान तत्व हैं। शायद यही कारण है कि कविता गोचर जगत के अन्तर्मन […]

मतिराम के काव्य में गार्हस्थ्य का चित्रण – ललिता शर्मा

रीति कविता राजाओं और रईसों के आश्रय में पली है। यह एक स्वात: प्रमाणित सत्य है की उनकी अन्तःप्रेरणा और स्वरूप को कवियों और उनके आश्रयदाता दोनों के संबंध से […]

भारतीय रंगमंच में स्त्रियों का प्रवेश – स्वाति मौर्या

आज रंगमंच के क्षेत्र में भारतीय स्त्रियों ने जो मुकाम हासिल किया है, वह उसे एकाएक नहीं प्राप्त हो गया बल्कि यह शिखर उसके कई वर्षों के संघर्षों का परिणाम […]

हिंदी नवजागरण क्या है? : मैं कहता तू जागत रहियो – डॉ. चन्दन कुमार

भारतीय इतिहास में 19वीं सदी को पुनर्जागरण, पुनरुत्थान, नवजागरण आदि नामों से अभिहित किया गया। डॉ॰ लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय और रामधारी सिंह दिनकर ने क्रमश: ‘नवोत्थान’ व ‘पुनरुत्थान’ नामकरण किया है। […]

आंचलिकता के महानायक फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ – डाॅ0 नीलू सिंह

फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ जी मुंशी प्रेमचन्द के बाद के युग में आधुनिक हिन्दी साहित्य के सबसे सफल और प्रभावशाली लेखकों में गिने जाते थे। किसी भी साहित्यकार पर लेखनी चलाने से […]