
भारत अपनी आजादी का 75वां साल पूरा करने जा रहा है। इतनी लम्बी अवधि किसी देश के निवासियों के लिए एक गर्व की बात है। इस बीच भारत ने वह […]

भारत अपनी आजादी का 75वां साल पूरा करने जा रहा है। इतनी लम्बी अवधि किसी देश के निवासियों के लिए एक गर्व की बात है। इस बीच भारत ने वह […]

‘‘भूमण्डलीकरण के आक्रामक दौर में नष्ट होती हुई ग्राम संस्कृति और आत्महत्या के लिए विवश किसानों को केन्द्र में रखकर किया जाने वाला कथा-सृजन ही अपनी सार्थकता प्रमाणित कर सकता […]

हिंदी सिनेमा यद्यपि मनोरंजन प्रधान और व्यावसायिक रहा है किन्तु सामाजिक मुद्दों और समसामयिक घटनाओं की अभिव्यक्ति से भी इसका जुड़ाव लगातार रहा हैI समाज के विभिन्न वर्गों-समुदायों को अपनी […]

सार भारतीय समाज में चाहे स्थान तथा क्षेत्र कोई भी हो नारी को हर जगह अपने अस्तित्व के लिए लड़ाई लड़नी ही पड़ती है। वैदिक काल में नारी को पुरूषों […]

साहित्य और सिनेमा दो स्वतंत्र विधा होते हुए भी दोनों एक दूसरे से संबंधित हैं। वर्तमान समय में फिल्में हमारे समाज के यथार्थ को प्रस्तुत करने की सशक्त माध्यम बन […]

सहायक साहित्य व सिनेमा समाज को दिशा निर्देश करने वाले प्रमुख मनोरंजनात्मक परंतु उद्देश्य मूलक विद्या है। साहित्य और सिनेमा दोनों पृथक विद्याएँ है। साहित्य पढ्य है वही सिनेमा दृश्य […]

सिनेमा या फिल्मों का हमारे सामाजिक जीवन में ज्ञान, मनोरंजन, सूचना व शिक्षा की दृष्टि से अत्यन्त महत्व है। इसलिए यह हमारे जीवन का एक अहम अंग बन चुका है। […]

सन् 1975 में प्रदर्शित हिंदी फिल्म ‘आँधी’ भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक अनूठी और यादगार फिल्म है। इस फिल्म में मुख्य कलाकार संजीव कुमार और सुचित्रा सेन थे, जिन्होंने […]

आज सिनेमा का विश्व भर में प्रसार हुआ है । दुनिया की लगभग सभी भाषाओं में फिल्में बन रही हैं। भारत में भी सभी प्रमुख भाषाओं में फिल्में बनती हैं। […]

साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है। यदि इस नज़रिए से सिनेमा को देखा जाए तो सिनेमा को समाज की अन्तर्शिराओं में बहने वाले रक्त की संज्ञा दी जा […]