
जिस प्रकार मनुष्य अपने भावों एवं विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए किसी विशिष्ट भाषा का प्रयोग करता है, उसी प्रकार एक राष्ट्र भी अपने सरकारी काम-काज सम्पन्न करने के […]

जिस प्रकार मनुष्य अपने भावों एवं विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए किसी विशिष्ट भाषा का प्रयोग करता है, उसी प्रकार एक राष्ट्र भी अपने सरकारी काम-काज सम्पन्न करने के […]

‘नारी’ शब्द सुनते ही एक विस्तृत संसार की परिकल्पना साकार होने लगती है । वह संसार जहां नारी को ‘पराया धन’ कहा गया । जहां उसे ‘ताड़ने’ की बात कही […]

गुरुदेव’ रवीन्द्रनाथ ठाकुर सम्पूर्ण विश्व के सर्वश्रेष्ठ मूर्धन्य विद्वानों, साहित्यकारों- दार्शनिकों, संगीतकारों एवं कलाकारों में हैं। उनकी प्रतिभा बहुमुखी थी। सारे संसार में उनका सम्मान है। ‘भारतवर्ष जिन दिनों राजनीतिक […]

दर्शन की भाषा में कहें तो सचमुच में सब कुछ परिवर्तनशील है। यहाँ तक कि अपनी विचारधारा से नाभिनाल बद्ध और इसी नाते कट्टर कहे जाने वाले कम्यूनिस्ट पार्टियों के […]

आदिवासी विमर्श, दलित विमर्श और नारी विमर्श ने साहित्य को समझने की केवल नई दृष्टि प्रदान नहीं की, बल्कि उसमें नये जीवन आदर्श भी प्रतिस्थापित किए। नारी विमर्श एक ऐसा […]

डायन के संदेह में तिन की हत्या मामला : अदालत ने सात को सुनायी फांसी की सजा कोलकाता, पश्चिम मेदिनीपुर, सोमवार 16 मई 2016 : डायन के संदेह में तीन आदिवासी महिलाओं […]

राष्ट्र के प्रति प्रेम भावना ही ‘राष्ट्रीय भावना’ या ‘राष्ट्रीयता’ कही जाती है। राष्ट्रीयता या राष्ट्रीय भावना जब तक राष्ट्रीय चेतना नहीं बनती तब तक उसमें सम्पूर्णता निर्धारित नहीं होती […]

‘विपात्र’, ‘काठ का सपना’ की अंतिम रचना है। संभवतः इसका रचनाकाल 1963-64 का है जैसा कि मुक्तिबोध रचनावली में व्यक्त है। यही वह समय है जब मुक्तिबोध बीमारी की अवस्था […]

वर्ग, क्षेत्र,समूह-विशेष आदि के सामाजिक-प्रतिनिधित्व के लिए, उनके हितों की रक्षा के लिए, उनकी मांगों, उनकी समस्याओं आदि को उठाने के लिए उस वर्ग, क्षेत्र, समूह-विशेष से संबंधित संगठनों, आयोगों , समितियों […]

शताब्दियों की गुलामी से मुक्त होकर स्वतत्रंता के पचास वर्ष पूर्ण होने के पश्चात् जब हम हिन्दी की स्थिति पर विचार-चिन्तन करते हैं तब ज्ञात होता है कि अंग्रेजी के […]