तेलुगु लोक गीतों की परंपरा : एक अध्ययन – डॉ. आनंद एस .

भाषा में साहित्य का आविर्भाव लोक साहित्य से हुआ है। लोक साहित्य में सबसे पहले लोकगीतों का जन्म हुआ है। क्योंकि गीत गाना या गुनगुनाना मनुष्य की एक सहज प्रवृत्ति […]

मध्यकालीन संत एवं भक्त कवि और सार्वभौमिक मानव-मूल्य  –  सुमन

                ” देख तेरे संसार की हालत                   क्या हो गई भगवान                   कितना बदल गया इंसान” आज वैश्वीकरण की आँधी में बुलेट […]

दिव्या माथुर की कहानियों में स्त्री मुक्ति का आह्वान – नितिन मिश्रा

मनुष्य एक गतिशील प्राणी है, विचरण करना इसका स्वाभाविक कर्म है| जब से मनुष्य इस धरती पर आया वह निरंतर गतिशील रहा है|निरंतरता मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति हैं मनुष्य के […]

व्यक्ति के जीवन में श्रीमद्भगवद्‌गीता का महत्त्व – डॉ. कामराज सिंधु

श्रीमद्भगवद्‌गीता दुनिया का सबसे बड़ा ग्रंथ माना जाता है !धर्म ग्रंथों के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन […]

स्त्री-मुक्ति की राहें : सपने और हकीकत – डॉ. रामचन्द्र पाण्डेय

हमारी परम्परा और संस्कृति में स्त्री सदैव ‘देवि, माँ सहचरि तथा अपने सभी रूपों में सम्मान और श्रद्धा की ही अधिकारिणी रही है। उसके महत्व को,  उसकी अस्मिता को हमेशा […]

‘युद्ध’ कहानी में अभिव्यक्त मुस्लिम मानस – शिखा 

शानी एक ऐसे कथाकार हैं जिन्होंने अपने कथा साहित्य के माध्यम से मुस्लिम वर्ग को चित्रित किया है। यह वर्ग अब तक हिंदी साहित्य में अनछुआ था। भारत-पाक विभाजन एक […]

सोलहवीं शताब्दी के स्पैनिश सन्त सान खुआन का रहस्यवाद – माला शिखा

स्पेन में सोलहवीं शताब्दी के दो सन्त, सान्ता तेरेसा दे खेसूस व सान खुआन दे ला क्रूस, कदाचित स्पेन के आज तक के सबसे प्रमुख रहस्यवादी सन्त रहे हैं। प्रस्तुत […]

राजभाषा हिंदी का स्वरूप – डॉ. ममता सिंगला

जिस  प्रकार मनुष्य अपने भावों एवं विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए किसी विशिष्ट भाषा का प्रयोग करता है, उसी प्रकार एक राष्ट्र भी अपने सरकारी काम-काज सम्पन्न करने के […]

नारी शक्ति – डॉ॰ मधु कौशिक

‘नारी’ शब्द सुनते ही एक विस्तृत संसार की परिकल्पना साकार होने लगती है । वह संसार जहां नारी को ‘पराया धन’ कहा गया । जहां उसे ‘ताड़ने’ की बात कही […]

‘आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के उपन्यासों में रवीन्द्रनाथ ठाकुर के विश्व-मानवतावाद के प्रभाव का अध्ययन’ – अमन कुमार

गुरुदेव’ रवीन्द्रनाथ ठाकुर सम्पूर्ण विश्व के सर्वश्रेष्ठ मूर्धन्य विद्वानों, साहित्यकारों- दार्शनिकों, संगीतकारों एवं कलाकारों में हैं। उनकी प्रतिभा बहुमुखी थी। सारे संसार में उनका सम्मान है। ‘भारतवर्ष जिन दिनों राजनीतिक […]