
इससे पूर्व प्रकाशित भारतीय लोक और स्त्रीमन की 5 श्रृंखलाओं में भोजपुरी के लोकगीत, खड़ी बोली के लोकगीत, राजस्थानी लोकगीत, हरियाणी लोकगीत व पंजाबी लोकगीत की बेहद्दी में मैंने जहां […]

इससे पूर्व प्रकाशित भारतीय लोक और स्त्रीमन की 5 श्रृंखलाओं में भोजपुरी के लोकगीत, खड़ी बोली के लोकगीत, राजस्थानी लोकगीत, हरियाणी लोकगीत व पंजाबी लोकगीत की बेहद्दी में मैंने जहां […]

सरकार ने समाज में दो तरह के विद्यालयों की व्यवस्था कर रखी है। सरकारी प्राथमिक विद्यालय अत्यन्त गरीब बच्चों के विद्यालय है, जहाँ सब कुछ निःशुल्क प्राप्त होता है। वहीं […]

भारत गाँवों का देश है,यहाँ 70 प्रतिशत से ज्यादा लोग गाँवों में रहते है,और 60 प्रतिशत से ज्यादा लोगों का जीवन कृषि पर निर्भर है,लेकिन फिर भी क्यों गाँव और […]

अस्मिता का अर्थ है- पहचान तथा भाषाई अस्मिता से तात्पर्य है- भाषा बोलने वालों की अपनी पहचान। ‘अस्मिता’ शब्द के संदर्भ में डॉ. नामवर सिंह ने कहा है कि- “हिंदी […]

आधुनिक कविता में जटिल विचारों के संप्रेषण के लिए मिथक का व्यापक प्रयोग किया गया l आचार्य हजारी प्रसाद दिव्वेदी ने अग्रेज़ी के( myth )शब्द के समानार्थी के रूप में […]

वर्तमान समय मनुष्यता की तलाश का है|इस समय यदि किसी में सर्वाधिक क्षरण दृष्टिगत होता है,तो वह मनुष्यता है|आज के इस संकटग्रस्त समय में दुनिया अनेक ध्रुवों में विभाजित होती […]

अपनी चेतना को अभिव्यक्त करने व अपने विचारों से दूसरों को अवगत कराने तथा दूसरे की राय व भावनाओं को जानने का माध्यम है भाषा। संप्रेषण व विचार-विनिमय का सशक्त […]

अपने समय और समाज की यथार्थ स्थिति का उद्घाटन निरूपण व प्रस्तुतीकरण करना ही साहित्य का लक्ष्य है। साहित्य युगीन तब बनता है जब वह अपने समय समाज व जन-सामान्य […]

यह एक विचित्र संयोग है कि जब विभिन्न देशों में जगह-जगह राष्ट्रवादी आंदोलनों ने सिरे उठाना शुरू कर दिया है और राष्ट्रीय अस्मिता तथा संप्रभुता के प्राथमिक सवालों से लोग […]

आज के दौर में जनसंचार के कई आयाम प्रचलित हैं। इन्हीं में से एक मुख्य माध्यम रेडियो का है। जनसंचार माध्यमों में समाचार पत्रों, पत्रिकाओं के अतिरिक्त आज रेडियों […]