भाषा और अस्मिता का अंतस्संबंध – बीरेन्द्र सिंह

अस्मिता का अर्थ है- पहचान तथा भाषाई अस्मिता से तात्पर्य है- भाषा बोलने वालों की अपनी पहचान। ‘अस्मिता’ शब्द के संदर्भ में डॉ. नामवर सिंह ने कहा है कि- “हिंदी […]

आधुनिक कविताओ में विचारों का संप्रेषण :मिथक – डॉ .मोनिका देवी

आधुनिक कविता में जटिल विचारों के संप्रेषण के लिए मिथक का व्यापक प्रयोग किया गया l आचार्य हजारी प्रसाद दिव्वेदी ने अग्रेज़ी के( myth )शब्द के समानार्थी के रूप में […]

जटिल जीवन नद में तिर तिर – सच्चिदानंद पाण्डेय

वर्तमान समय मनुष्यता की तलाश का है|इस समय यदि किसी में सर्वाधिक क्षरण दृष्टिगत होता है,तो वह मनुष्यता है|आज के इस संकटग्रस्त समय में दुनिया अनेक ध्रुवों में विभाजित होती […]

हिंदी की दशा की पड़ताल  – जयन्त जिज्ञासु

अपनी चेतना को अभिव्यक्त करने व अपने विचारों से दूसरों को अवगत कराने तथा दूसरे की राय व भावनाओं को जानने का माध्यम है भाषा। संप्रेषण व विचार-विनिमय का सशक्त […]

आदिवासी कविता : संघर्ष और विद्रोहधर्मिता – डॉ.धीरेन्द्र सिंह

अपने समय और समाज की यथार्थ स्थिति का उद्घाटन निरूपण व प्रस्तुतीकरण करना ही साहित्य का लक्ष्य है। साहित्य युगीन तब बनता है जब वह अपने समय समाज व जन-सामान्य […]

जन-माध्यमों के बदलते सरोकार – डॉ. माला मिश्र

यह एक विचित्र संयोग है कि जब विभिन्न देशों में जगह-जगह राष्ट्रवादी आंदोलनों ने सिरे उठाना शुरू कर दिया है और राष्ट्रीय अस्मिता तथा संप्रभुता के प्राथमिक सवालों से लोग […]

यहां जनसंचार के क्षेत्र में रेडियों का महत्व – डॉ0 बलजीत कुमार श्रीवास्तव

आज के दौर में जनसंचार के कई आयाम प्रचलित हैं। इन्हीं में से एक मुख्य माध्यम रेडियो का है।                 जनसंचार माध्यमों में समाचार पत्रों, पत्रिकाओं के अतिरिक्त आज रेडियों […]

कोर्ट मार्शल: दलित चेतना की अभिव्यक्ति – डॉ. स्नेहलता नेगी

बीसवीं सदी जबरदस्त परिवर्तन की सदी रही है। इस सदी ने मानव जीवन के हर एक क्षेत्र में आमूल परिवर्तन कर दिया है। प्रत्येक विषय की नीव को ही उसने […]

संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी – डॉ. सुनील भूटानी

भारत, संयुक्त राष्ट्र संघ में एक महत्वपूर्ण देश है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के नाते भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ में एक विशेष स्थान प्राप्त है। वर्तमान में, […]

उषा प्रियंवदा का रचना संसार – डां रूचिरा ढींगरा

समकालीन प्रवासी महिला कथाकारों में बहुचर्चित एवं समादृत उषा प्रियंवदा का जन्म कानपुर के एक प्रतिष्ठित कायस्थ परिवार में 24 दिसमबर 1930 को हुआ। मेधावी और अध्ययनशीला उषा प्रियंवदा अपने […]