फिल्म चाहे जिस भाषा का क्यों न हो उसमें साहित्य दिखना चाहिए – दिलीप कुमार शर्मा ‘अज्ञात’ 

बंगाली फिल्मों के बारे में कुछ कहने से पहले मैं समझता हूँ, एक बार बांग्ला साहित्य के बारे में बात कर लेनी चाहिए। बांग्ला भाषा और साहित्य का काल विभाजन […]

सिनेमाई परदे पर उभरता सामाजिक मूल्यों का रीमेक – डॉ. नीतू गुप्ता

समस्त प्रकृति परिवर्तनशील है। यदि इसमें समय-समय पर परिवर्तन ना हों तो इसकी एकरूपता, नीरसता बनकर रह जाएगी। प्रकृति के साथ साथ परिवर्तन का यह नियम समाज और सामजिक मूल्यों […]

ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफ़ॉर्म नियमन, खूबियाँ एवं खामियाँ – आशीष कुमार पाण्डेय

भारत सरकार ने 25 फ़रवरी 2021  को सूचना प्रौद्योगिकी को लेकर नए नियम को अधिसूचित किया है। इसका नाम ‘द इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रूल 2021’ है। डिजिटल मीडिया से जुड़ी पारदर्शिता […]

प्रौद्योगिकी और डिजिटल कला – शैलेन्द्र चौहान

दुनिया में बड़े कलाकारों की मूल कलाकृतियों उर्फ पेंटिंग्स की कीमत बहुत अधिक होती है। भारत के पिकासो के नाम से जाने जाने वाले एम. एफ. हुसैन को गुजरे अभी […]

 पद्मा सचदेव के साहित्य में जम्मू कश्मीर का सामाजिक जीवन – शास्वत आनंद

1947 में भारत के विभाजन का शिकार बने संस्कृत के विद्वान प्रोफ़ेसर जयदेव बादु की तीन संतानों में सबसे बड़ी पद्मा जी ने अपनी शिक्षा की शुरुआत पवित्र नदी ‘देवका’ […]

सुभाष मुखोपाध्याय: असाधारण में साधारण (जन्मशती स्मरण)- रणजीत साहा

एक बार भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता और साहित्य अकादेमी के संयुक्त साहित्य आयोजन में भाग लेने मैं कोलकाता गया हुआ था। कार्यक्रम शुरू होने के एक दिन पहले मैं अपने […]

घर (कोरोना काल पर केन्द्रित लघुकथा) – बिद्या दास

आज वह दिन बहुत याद आ रहा है जब काम के लिए जाते समय डब्बा बांधते हुए रमा के चेहरे पर हल्की मुस्कान थी। पता लग रहा था कि वह […]

समाज की उन्नति का पर्याय है स्त्री – डॉ० दीपा ‘दीप’

स्त्री को बेदिमाग या ‘इमोशनल फूल’ कहकर उसकी निंदा करना बहुत ही उपहासास्पद है। या यूं कहना कि उनमें दिमाग ही नहीं होता, यह केवल समाज की संकीर्ण मानसिकता ही […]

बात जो दिल को छू गयी – डॉ० दीपा

कुछ विद्यार्थी इन दिनों बेहद याद आते हैं। कुछ माह पहले मुझे टेल बोन फ्रैक्चर हुआ, डॉ० ने तीन माह के लिए बेड रेस्ट के लिए कहा। कॉलेज जॉइन करना […]

जान है तो जहान है  (व्यंग) – संजय वर्मा”दृष्टि”

वर्तमान फेसबुक,वाट्सअप,इंस्ट्राग्राम ने टीवी,वीडियो गेम्स, रेडियो आदि को लॉकडाउन में चाहने लगे।कहने का मतलब है कि दिन और रात इसमें ही लगे रहते हैं । यदि घर पर मेहमान आते हैं […]