
सिनेमा मूक फिल्मों से होता हुआ श्वेत श्याम और रंगीन व थ्री डी तक आ पहुंचा है जिसमें मनोरंजन से होता हुआ सिनेमा विचारात्मक या प्रतिरोध का रूप ले चुका […]

सिनेमा मूक फिल्मों से होता हुआ श्वेत श्याम और रंगीन व थ्री डी तक आ पहुंचा है जिसमें मनोरंजन से होता हुआ सिनेमा विचारात्मक या प्रतिरोध का रूप ले चुका […]

साहित्य को समाज का दर्पण माना गया है, ठीक उसी तरह सिनेमा समाज का चित्रण करने वाला तकनीकी कलारूप है। देश के इतिहास निर्माण में सिनेमा का भी बड़ा योगदान […]

सिनेमा वर्तमान युग में समस्त कलात्मक अभिव्यक्ति के माध्यमों में सबसे सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। किसी भी जाति, धर्म, वर्ग के लोगों को सीधे प्रभावित करने में यह पूर्णतया […]

बंगाली फिल्मों के बारे में कुछ कहने से पहले मैं समझता हूँ, एक बार बांग्ला साहित्य के बारे में बात कर लेनी चाहिए। बांग्ला भाषा और साहित्य का काल विभाजन […]

समस्त प्रकृति परिवर्तनशील है। यदि इसमें समय-समय पर परिवर्तन ना हों तो इसकी एकरूपता, नीरसता बनकर रह जाएगी। प्रकृति के साथ साथ परिवर्तन का यह नियम समाज और सामजिक मूल्यों […]

भारत सरकार ने 25 फ़रवरी 2021 को सूचना प्रौद्योगिकी को लेकर नए नियम को अधिसूचित किया है। इसका नाम ‘द इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रूल 2021’ है। डिजिटल मीडिया से जुड़ी पारदर्शिता […]

दुनिया में बड़े कलाकारों की मूल कलाकृतियों उर्फ पेंटिंग्स की कीमत बहुत अधिक होती है। भारत के पिकासो के नाम से जाने जाने वाले एम. एफ. हुसैन को गुजरे अभी […]

1947 में भारत के विभाजन का शिकार बने संस्कृत के विद्वान प्रोफ़ेसर जयदेव बादु की तीन संतानों में सबसे बड़ी पद्मा जी ने अपनी शिक्षा की शुरुआत पवित्र नदी ‘देवका’ […]

एक बार भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता और साहित्य अकादेमी के संयुक्त साहित्य आयोजन में भाग लेने मैं कोलकाता गया हुआ था। कार्यक्रम शुरू होने के एक दिन पहले मैं अपने […]

आज वह दिन बहुत याद आ रहा है जब काम के लिए जाते समय डब्बा बांधते हुए रमा के चेहरे पर हल्की मुस्कान थी। पता लग रहा था कि वह […]