
बन कर रंगीन कठपुतली, क्यों नाच रही है शिक्षा? करने वाले प्रकृति की वंदना, आज अभिभूत, कर रहे अतिरंजना क्या मॉल – झोपड़ी एक समान, बना कर इंटरनेट वरदान? रेतीले […]

बन कर रंगीन कठपुतली, क्यों नाच रही है शिक्षा? करने वाले प्रकृति की वंदना, आज अभिभूत, कर रहे अतिरंजना क्या मॉल – झोपड़ी एक समान, बना कर इंटरनेट वरदान? रेतीले […]

आज का मानव इंसान नहीं, इंसान के रूप में छिपा भेड़िया || डग-डग पर है खतरा-खतरा कब क्या हो जाये किस राह पर, वह हैवान तुम्हे मिल जाये | नोच-नोच […]

1. हम फिर से आयेंगे तेरे शहर को बसाने हम फिर से आयेंगें तेरे शहर को बसाने पर आज तुम न देखों हमारे पैरों पे पड़े छाले क्यों आंखे भर […]

1. हिन्द के बाग में ये कौन आया? हिन्द के बाग में यह कदम किसके है? किसके नेत्र उठे हैं? किसमें जगी ज्वालामुखी जैसी अग्नि हिन्द के खिलाफ में पहचान […]

ढलती शाम दूर कहीं किनारे पर अकेला बैठा है कोई मार रहा है पत्थर पानी पर एकएक कर झांकता है कभी दूर पहाड़ी के उस पार मन में लिए कुछ […]

एक सूनी धूप में जब सब अपने अपने दफ़्तर के या दूसरे काज़ में व्यस्त रहते हैं इक्का दुक्का लोग ही सड़कों पर दिखते हैं पर शाम होते होते सड़क […]

1. दीपक हिंदुस्तान हमारा है सबसे न्यारा, यथा संभव अलग पहचान दिलाना है। दौलत से बढ़कर है इंसानियत, खूबसूरत से रिश्ते को बचाना है। नहीं चाहत चाँद, सितारे पाने की, […]

“अकंलजी , उठिए ,यह मेरी सीट है, यहाँ मैं रूमाल रखकर गया था । जो अब भी पड़ा है’’ । रामनाथजी ने चौंक कर पीछे देखा जब युवा लड़के ने […]

गाड़िया लोहार संदर्भः- उपर्युक्त कविता के माध्यम से मेवाड़ (राजस्थान) मुग़ल युद्ध में महाराणा प्रताप का साथ देने वाली एक जनजाति की वर्तमान दुःखद स्थिति का चित्रण किया गया है, […]

(1) एक आदिवासी की घोषणा… आदिवासी कह रहा है हमें नहीं चाहिए तुम्हारा विकास! नहीं चाहिए तुम्हारे कंक्रीट के जंगल! हमें नहीं चाहिए बोतल वाला पानी! तुम मत काटो हमारे […]