
सिंधु किनारे, दूर क्षितिज को निहारते सिंधु किनारे, दूर क्षितिज को निहारते, अरुणिमा से परावर्तित जल को देखते, प्रकृति की रचना को आत्मसात करते, परंतु आँखें तो बस तुम्हारे नैनों […]
सिंधु किनारे, दूर क्षितिज को निहारते सिंधु किनारे, दूर क्षितिज को निहारते, अरुणिमा से परावर्तित जल को देखते, प्रकृति की रचना को आत्मसात करते, परंतु आँखें तो बस तुम्हारे नैनों […]
सुबह के सात बजे थे। रोजाना की तरह सीमा रसोईघर में नाश्ता बना रही थी। तभी अनीता ने आकर पूछा – भाभी नाश्ता बन गया क्या? हां बस अभी देती […]
मकान के चौहद्दी के ठीक सामने गंभीर मुद्रा में बैठे पुरखउत नीब दादा साक्षी हैं बसते- उजड़ते गांव,पाही और जीवन की सांस के । कभी पुरवट खींचकर थके-हरे पछाहीं […]
साहित्य के सरोकार, जिनकी रचना में, निर्धन, दलितों, नारी, के करुण स्वरों की है पुकार, कहलाते हैं वह साहित्य सम्राट। वाराणसी में है जन्म लिया, नवाब राय नाम से लेखनी […]
जब रात अंधेरा होता हैं और छा जाती है नीरवता तब उस क्षण गूंजती हैं अनगिनत आवाज़ें जो […]
बन कर रंगीन कठपुतली, क्यों नाच रही है शिक्षा? करने वाले प्रकृति की वंदना, आज अभिभूत, कर रहे अतिरंजना क्या मॉल – झोपड़ी एक समान, बना कर इंटरनेट वरदान? रेतीले […]
आज का मानव इंसान नहीं, इंसान के रूप में छिपा भेड़िया || डग-डग पर है खतरा-खतरा कब क्या हो जाये किस राह पर, वह हैवान तुम्हे मिल जाये | नोच-नोच […]
1. हम फिर से आयेंगे तेरे शहर को बसाने हम फिर से आयेंगें तेरे शहर को बसाने पर आज तुम न देखों हमारे पैरों पे पड़े छाले क्यों आंखे भर […]
1. हिन्द के बाग में ये कौन आया? हिन्द के बाग में यह कदम किसके है? किसके नेत्र उठे हैं? किसमें जगी ज्वालामुखी जैसी अग्नि हिन्द के खिलाफ में पहचान […]
ढलती शाम दूर कहीं किनारे पर अकेला बैठा है कोई मार रहा है पत्थर पानी पर एकएक कर झांकता है कभी दूर पहाड़ी के उस पार मन में लिए कुछ […]