इच्छा (लघुकथा) – ओमप्रकाश क्षत्रिय

वह उनकी इकलौती पुत्री थी.  माता चाहती थी कि उनकी पुत्री को उनके पति जैस व्यापारी वर न मिले, जबकि पिता चाहते थे कि उनकी पुत्री को व्यापारी वर मिलें । […]

मददगार (कविता) – संजय वर्मा “दृष्टि”

अस्वस्थता में पहचान होती ईश्वर और इंसान की कौन था मददगार श्मशान के क्षणिक वैराग्य ज्ञान की तरह भूल जाता इंसान मदद के अहसान को फर्ज के धुएँ में सांसे […]

कृष्ण सुकुमार की सात कविताएँ

(1) सपने देखते देखते चुक जाता है वुजूद, जैसे चुक जाये सूरज शाम ढलते न ढलते ! रास्ते चुक जाते हैं मंज़िल तक पहुँचते पहुँचते जैसे चुक जायें विचार अपनी […]

नारी (कविता) – अर्पना सिंह

नारी जग की आधी भाग है नारी, उससे जिन्दगी  होती पूरी सारी, फिर भी वह आज है बिचारी ! हर रूप में वह सहारा सबकी, कभी माँ, कभी बहन, कभी […]