
यदि कहीं कोई महिला मजदूरी कर रही होती है तो उसे इस तरह का कठोर परिश्रम करते देखकर जहन में अनगिनत सवाल उठते है। अरे….! ये एक महिला है। अपने सिर […]

यदि कहीं कोई महिला मजदूरी कर रही होती है तो उसे इस तरह का कठोर परिश्रम करते देखकर जहन में अनगिनत सवाल उठते है। अरे….! ये एक महिला है। अपने सिर […]

जादूगरनी हो तुम ! कितने सजीले रंग चुनती हो । चित्र की एक-एक रेखा हू-ब-हू ऐसे खींच डालती हो कि सच्चाई भी फीकी लगने लगे । उस पर ये मिश्रित […]

बदलते लोग दीवारों की दरारों से लोग हालात भांपने लगे, आँखो में दिखती लाली से लोग जज्बात मापने लगे, खुल कर मुस्कुराया जब कोई, तब लोग उसकी मुस्कुराहट के पीछे […]

कंक्रीट के जंगल आइए मैं लू चलूं आपको कंक्रीट के जंगल में जहां आप महसूस करेंगे भौतिकता के ताप को मानवता नैतिकता दया-करुणा यहां बैठो रहे मानवीय मूल्यों के अवमूल्यन […]

“बिशेश्वर| ऐ भाई बिशेश्वर! कौना सोच में डूबे हो भैया?” “कुछ नहीं |” अनमने से बिशेश्वर ने बात टाल दी। “चाह पियोगे?” जरनैल सिंह ने बात पलट दी| बिशेश्वर ने […]

“अच्छा हुआ बेटा जो तू आ गया | तेरे बाबा तेरे घर से जब से लौटे है गुमसुम रहते हैं| क्या हुआ ऐसा वहाँ?” “कुछ नहीं अम्मा!” “कुछ तो हुआ […]

राज के समय के जिलों की भौगोलिक सीमाएं आज के दौर के मण्डलों या प्रमंडलों से भी अधिक फैली थीं और जिला मजिस्ट्रेट का पद मूल रूप से अंग्रेजी के […]

व्यर्थ –व्यथा कितने व्यर्थ रहे तुम जीवन खुद को भी न पुकार सके? 2. दुख किसी विशाल बरगद सा सिरहाने उगा है दुख उसे कहाँ लगाऊं कि कुछ कम […]

दुःख सुख का ये संगम है… मेरा गम कितना कम है… लोगों का ग़म देखा तो… पास से गुजर रहे ऑटो रिक्शा में यह गाना बज रहा था और मैं […]

(क) ऋण वैसे तो दोनों का नाम श से प्रारम्भ होता था एक शोषित वर्ग का प्रतिनिधित्व करता था और दूसरा शोषक वर्ग का दोनों ने ही ऋण लिया था […]