
संसार के सार्वभाषिक साहित्य संसार में जो इने – गिने सुप्रसिद्ध महान साहित्यकार हैं | उनमें हिन्दी साहित्य के कलम के जादूगर प्रेमचंद जी का नाम बड़े ही आदर और […]

संसार के सार्वभाषिक साहित्य संसार में जो इने – गिने सुप्रसिद्ध महान साहित्यकार हैं | उनमें हिन्दी साहित्य के कलम के जादूगर प्रेमचंद जी का नाम बड़े ही आदर और […]

प्रेमचन्द का ‘गोदान’ अवध के एक गरीब किसान का इतिहास है। उन्होंने अपने इस उपन्यास में इस प्रकार के मानव चरित्र के चित्र उपस्थित किए हैं जिनसे साहित्य इतिहास न […]

प्रेमचंद की कोई भी कृति पढ़ने के बाद सबसे सहज प्रश्न तो यही उठता है कि कब लिखी गई थी। अधिकतर आलोचकों ने इसी प्रश्न को पूछा है। वे इस […]

प्रस्तावना– प्रेमचंद और उनका साहित्य हमारी संस्कृति की धरोहर है। प्रेमचंद ने अपने लेखनी में बड़ी ही सूक्ष्म दृष्टि नारी की व्यथा पर केंद्रित की है। इस आलेख में प्रेमचंद […]

समकालीन हिंदी कथा साहित्य में जहाँ एक और फणीश्वर नाथ रेणु कथाकार के रूप में स्थापित हैं| वहीं उनके द्वारा लिखे गए संस्मरण और रिपोर्ताज का भी महत्वपूर्ण स्थान है। […]

फणीश्वरनाथ रेणु की एक उल्लेखनीय कहानी है ‘पहलवान की ढोलक’। इसमें लेखक ने ढोलक को एक वाद्य यन्त्र के रूप में नहीं, जीवन्तता का प्रतीक बनाकर प्रस्तुत किया है। एक […]

फणीश्वर नाथ रेणु हिन्दी साहित्य के उन महान कथाकारों में से एक हैं, जिनका साहित्य उनके समय तो प्रासंगिक था ही परंतु समय के साथ- साथ उनके साहित्य की महत्वता […]

हिंदी साहित्य के इतिहास में भक्तिकाल को ‘स्वर्ण-युग’ का दर्जा प्राप्त है। भक्ति के आरंभ और विकास को लेकर अनेक मत प्रचलित हैं, लेकिन भारतीय साहित्य में भक्तिकाल के महत्व […]

औद्योगिक क्रान्ति के आस-पास पूँजीवाद ‘व्यक्ति की स्वतंत्राता’ का नारा लेकर सामने आया। सामन्तवादी ढाँचे से मुक्ति तो हमने पायी लेकिन इस औद्योगिक क्रांति ने साम्राज्यवादी ताकतों की भूख बढ़ा […]

इस पृथ्वी पर सबसे बुद्धिमान प्राणी मनुष्य माना जाता है। प्रकृति की संरचना में स्त्री-पुरुष में भेद का भाव नहीं है। दोनों अपनी मूल संरचना में स्वतंत्र होते हुए एक-दूसरे […]