‘आखिर स्त्री भी तो मानव होती है…’ – डॉ. लता 

मैं बोलती हूँ ज़माने से उनके आगे हो जाती हूँ चुप ज़माना सोचता है इसे मेरी शर्म वो सोचते हैं इसे मेरी रुसवाईयाँ सिर्फ़ मैं जानती हूँ इसके पीछे के […]

क्या से क्या हो गया (कविता) – मनीष सिंह “वंदन”

कुल्हड़ में गर्मी ड़ाल सर्दी को सुढ़क लेती थी वाष्प अपने पारदर्शी गर्दन से  गटक लेती थी नहाकर,जब भी आती थी वह मुंडे़र पर यारों भींगी जुल्फों से, पानी की बूंदें झटक देती थी […]

सुरेश लाल श्रीवास्तव की कविताएं

1. नारी जीवन-सम्मान नारी- सम्मान   निराकृत से, दुःखमय समाज हो जाता है। नारी को सुख पहुंचाने से, सुखमय समाज हो जाता है।। इतिहास प्रत्यक्षित करने से, यह विदित हमें हो […]

ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफ़ॉर्म नियमन, खूबियाँ एवं खामियाँ – आशीष कुमार पाण्डेय

भारत सरकार ने 25 फ़रवरी 2021  को सूचना प्रौद्योगिकी को लेकर नए नियम को अधिसूचित किया है। इसका नाम ‘द इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रूल 2021’ है। डिजिटल मीडिया से जुड़ी पारदर्शिता […]

प्रौद्योगिकी और डिजिटल कला – शैलेन्द्र चौहान

दुनिया में बड़े कलाकारों की मूल कलाकृतियों उर्फ पेंटिंग्स की कीमत बहुत अधिक होती है। भारत के पिकासो के नाम से जाने जाने वाले एम. एफ. हुसैन को गुजरे अभी […]

 पद्मा सचदेव के साहित्य में जम्मू कश्मीर का सामाजिक जीवन – शास्वत आनंद

1947 में भारत के विभाजन का शिकार बने संस्कृत के विद्वान प्रोफ़ेसर जयदेव बादु की तीन संतानों में सबसे बड़ी पद्मा जी ने अपनी शिक्षा की शुरुआत पवित्र नदी ‘देवका’ […]

गांधारी (मूल उड़िया कविता का हिंदी काव्यान्तरण) -प्रो. माला मिश्र

 हे गांधारी  ! तुमने अपनी आँखों में पट्टी बाँधते समय उचित अनुचित नहीं सोचा था,  अपने स्वामी के साथ खड़े होकर तुम दुनिया के सम्मुख दृष्टांत बन गई थीं, जब […]

“एक अकेली बेकाम, बेफ़िक्र , बेटैम लड़की की  कहानी (आजादी मेरा ब्रांड,अनुराधा बेनीवाल ) – रीना

अनुराधा बेनीवाल द्वारा लिखी पुस्तक आजादी मेरा ब्रांड एक यात्रा वृतांत है। जिसमें लेखिका अकेले यूरोप के अन्य देशों की यात्रा करती है ।वह सिर्फ यात्रा ही नहीं करती बल्कि […]

देवी  : सिर्फ़ नाम की ? – निहारिका शर्मा 

प्रियंका बैनर्जी के निर्देशन में बनी “ देवी ” लघु फ़िल्म देवी शब्द पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए नज़र आती है । इस लघु फ़िल्म में मुख्य भूमिका निभाई है […]