
डोरबेल बजी जा रही थी। रामसिंह भुनभुनाये “इस बुढ़ापे में यह डोरबेल भी बड़ी तकलीफ़ देती है।” दरवाज़ा खोलते ही डाकिया पोस्टकार्ड और एक लिफ़ाफा पकड़ा गया। लिफ़ाफे पर बड़े […]
डोरबेल बजी जा रही थी। रामसिंह भुनभुनाये “इस बुढ़ापे में यह डोरबेल भी बड़ी तकलीफ़ देती है।” दरवाज़ा खोलते ही डाकिया पोस्टकार्ड और एक लिफ़ाफा पकड़ा गया। लिफ़ाफे पर बड़े […]
बाहर जोरों की बारिश हो रही थी। अनेक पेड़ों की पत्तियों से टकराती बॅूदों का शोर नजदीक के जंगल के सन्नाटे को भंग करने की बजाए सघन बना रहा था। […]
क्यों मौन हैं क्यों मौन हैं हम सब चीखते-चिल्लाते रहें पर हम मौन ही रहें खड़े | क्या बोले कोई सुनता ही नहीं , अतः हम मौन ही रहें खड़े […]
कबीर तुमने कहा था रहना नहीं देस विराना है। लेकिन दे दिया पूरी उम्र देस’ को रहने लायक बनाने में निर्गुण की बाते दुहरायी बारम्बार और पाटते रहे जीऊ और […]
श्रीधर के घर जब पहली बार खुशियों का दिन आया , तब उतना उत्साह न था। बेटी जो हुई थी। जब आज वही दिन फिर आया। वह फूले न समा […]
गरीबों में ईश्वर जिसने खोजा है असल में वहीं करतार रहता है योजनाओं का लाभ मिले उन्हें जो असल में हकदार रहता है मेरे शहर में डेंगू ने पैर पसारे […]
पिता पिता दफ्तर से घर बच्चों का इन्तजार है गुस्सा में छुपा प्यार है हर जरुरत की पूर्ति है संयम की मूर्ति है निस्वार्थ उपकार है हमारा संस्कार है हमारी […]
घर की बालकनी की खिड़की खोली बाहर का दृश्य देख मुंह से निकल पड़ा – देखो चीकू के पापा कितना मनोरम दृश्य है । रोज की तरह रजाई ताने बिस्तर […]
इससे पूर्व प्रकाशित भारतीय लोक और स्त्रीमन की 5 श्रृंखलाओं में भोजपुरी के लोकगीत, खड़ी बोली के लोकगीत, राजस्थानी लोकगीत, हरियाणी लोकगीत व पंजाबी लोकगीत की बेहद्दी में मैंने जहां […]
सरकार ने समाज में दो तरह के विद्यालयों की व्यवस्था कर रखी है। सरकारी प्राथमिक विद्यालय अत्यन्त गरीब बच्चों के विद्यालय है, जहाँ सब कुछ निःशुल्क प्राप्त होता है। वहीं […]