
प्रेमचंद की कहानी ‘लांछन’ में अभिव्यक्त जेंडर परफॉर्मेटिविटी और नैतिक पुलिसिंग – जयकृष्णन एम.
‘गोदान उपन्यास ग्राम-जीवन और कृषि-संस्कृति का सशक्त महाकाव्य है’ – डॉ. शेख शहनाज अहमद
मानवता के पुजारी तथा कलम के जादूगर: मुंशी प्रेमचंद – डॉ. जितेंद्र पीतांबर पाटिल
मुंशी प्रेमचंद और स्त्री विमर्श – डॉ. आरती ‘लोकेश’
प्रेमचंद के उपन्यासों में किसान – प्रयास
प्रेमचंद:शब्दों का कफ्श-दॊज फटॆ जूतों में : वर्षा श्रीवास्तव
प्रेमचंद और कुमारन आशान के साहित्य में सामाजिक चेतना और मानवीय मूल्य – डॉ. दीपा कुमारी
मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास गोदान में मानव मूल्य – डॉ. सुमन शर्मा
ममता सिंह की कहानी ‘राग मारवा’ में चित्रित वृद्ध जीवन – दिगंत बोरा
संवेदनशील साहित्यकार : मुंशी प्रेमचंद – डॉ.नरसिंह राव कल्याणी
मुंशी प्रेमचंद : एक समग्रावलोकन – डॉ.नमिता चौहान
कफन कहानी में चित्रित कृषिक जीवन की त्रासदी – डॉ. दीपिका. एस
प्रेमचंद की मानवीय दृष्टि: करुणा, सहानुभूति और संघर्ष का साहित्य – पवन कुमार
‘निर्मला’ उपन्यास में चित्रित समस्याएं – डॉ.पारुल सिंह
प्रेमचंद और प्रवासी साहित्य: संवेदना, यथार्थ और सांस्कृतिक संवाद – हर्षित कुमार
रहस्यात्मक परिवेश और प्रेमचन्द का कायाकल्प – हर्षित तिवारी
प्रेमचंद की कथाओं में लोक धर्म निरूपण – डॉ वारिश जैन
हिंदी साहित्य का आधा इतिहास : हिंदी स्त्री-साहित्य का सौंदर्यशास्त्र – शिवानी कार्की
संबंधों की बगिया (कविता) – डॉ. शारदा प्रसाद
“तपते रिश्ते” – ललिता द्विवेदी “लवनी”
बाल मन पर संस्कार… – डॉ. जया सुभाष बागुल
घीसू और् माधव की कहानी ‘‘कफन’’: एक विश्लेषण – डॉ. अनुपमा वर्मा
पेड की पुकार – डॉ.पुष्पा गोविंदराव गायकवाड
दोस्तोएवस्की का घोड़ा : एक संघर्षरत युवा और दृष्टा लेखक – आरती
स्त्री मन की उड़ान : एक मुक्त आकाश (डॉ. रजनी गुप्ता) – समीक्षक—डॉ. शारदा प्रसाद