वसंत बयार

वासंती बयार माधवी लता की

कदमों को चूमने लगी है

सरसों की पीली कलियों को

नव यौवना नव युवती के

कोमल किसलय तन-मन को ।

फूलवारी सरसों की क्यारियों में

भौरे तो दीवाने बने फिरते हैं

मधुर मिलन की बेला में

खुशियों का मेला लगाते हैं

कुछ हाले दिल सुनते सुनाते हैं ।

तितलियों के मन में भी

आस है छूने की कलियों को

नव यौवना लतिका के दिल में

चुपके से कुछ दिल्लगी करने की

कुछ कहने की, आहें भरने की ।

धरती की पीली चुनर के बीच

सोने की काया,

चांदी के चमकिले बालों में

उलझा दूं अपना लोचन

मिटा दूं अपना चैनो सुकून

हलकी सी मुस्कुराहट के वास्ते

मिटा दूं अपना सारा जहां ।

पलकें झुकी हैं

नजरें भी शरमाई सी

खूबसूरत शरबती गालों में

छाई है लालिमा और

 दिल में जलता है समां ।

                                           लता नायक
                                             शिक्षिका
                           लोटस पब्लिक स्कूल, भटगांव,
                       छत्तीसगढ़