
संपादकीय डॉ. आलोक रंजन पांडेय बातों-बातों में डी.डी. के प्रसिद्ध कार्यक्रम ‘दो टूक’ में अपने सवालों से पस्त करनेवाले प्रसिद्ध पत्रकार और वरीय एंकर अशोक श्रीवास्तव से सहचर टीम की […]

संपादकीय डॉ. आलोक रंजन पांडेय बातों-बातों में डी.डी. के प्रसिद्ध कार्यक्रम ‘दो टूक’ में अपने सवालों से पस्त करनेवाले प्रसिद्ध पत्रकार और वरीय एंकर अशोक श्रीवास्तव से सहचर टीम की […]

1 जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू हो गया और GST केवल कर न होकर डिजिटल युग में प्रवेश करने का माध्यम है और यह माध्यम तभी संभव […]

प्रगति चाहे देश की हो या समुदाय की उसमें भाषा की अहम् भूमिका होती है । भाषा न सिर्फ ज्ञान की संवाहक है वरन् देश की उन्नति एवं प्रगति की […]

समाज में जो कुछ भी घटित होता है फिल्में उन सभी घटनाओं को दिखाने का एक सशक्त माध्यम हैं। वास्तविक जीवन तथा फिल्मी परदे पर दिखाए जा रहे बनावटी जीवन […]


‘फीचर’ (फीचर) समाचार पत्रों का एक अत्यावश्यक व अभिन्न भाग है। इस कारण सभी समाचार पत्रों में ‘फीचर’ देखने और पढ़ने मिल जाते हैं। ‘फीचर’ शब्द लैटिन भाषा के फैक्चर […]

सार : स्त्री लेखन का आरंभिक दौर सामाजिक आदर्श और नैतिकता से प्रेरित था। स्वाधीनता प्राप्ति के बाद बदले हुए माहौल और मध्यवर्ग के नए परिवेश में इनके कथावस्तु के […]

भारत में न्यू मीडिया अपने विकासमान दौर में है। इसके फैलाव की गति बहुत तेज है। इसके बहाव के आगे पारंपरिक मीडिया के साथ-साथ मुख्यधारा की मीडिया भी विस्मित है। […]

सूचना प्रौ़द्योगिकी के युग में तकनीकी समृद्धि मानव समाजिक सभ्यता के विकास का परिचायक है। सभ्यता का विकास आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक बदलाव को दर्शाता है। मीडिया का नवीन रूप […]

‘‘नागार्जुन कविता की बनी-बनायी दुनिया से बाहर खड़े होकर रचते हैं। ज्यादातर कवि कविता की दुनिया में रहकर रचते हैं या रचना शुरू करते ही कविता की दुनिया में चले […]