
समय की मांग कहो या संस्कृति का स्वाभिमान वह अब लौट रहा है। भारत अब लौट रहा है । वह स्वयभू होने को है। हाँ, हाँ! वह स्वयंभू पहले से […]
समय की मांग कहो या संस्कृति का स्वाभिमान वह अब लौट रहा है। भारत अब लौट रहा है । वह स्वयभू होने को है। हाँ, हाँ! वह स्वयंभू पहले से […]
सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मा कश्चिद् दुःख भागभवेत..। हमारे देश में ईश्वर से प्रार्थना के दौरान इस श्लोक का पाठ भी किया जाता है। और […]
हर दिन कुछ मिनट बड़ा बदलाव ला सकते हैं। सामान्यतः लोगों के लिए अपने दिन से समय निकालना मुश्किल होता है लेकिन हमें इस तरह की अनावश्यक बहानों से बचना […]
हिंदी साहित्य और डायरी लेखन का आरंभ भामह नाम के आचार्य ने ‘सहित’ शब्द का प्रयोग 6 वीं शताब्दी में पहली बार किया था,उनके अनुसार जो कुछ भी रचनाएं कविता,पद्य,गद्य […]
मानव-जीवन पर प्रकृति के प्रत्येक व्यापार का अनुकूल एवं प्रतिकूल प्रभाव पड़ना अत्यंत स्वाभाविक है। बसंत ऋतु में प्रकृति के चुतन शृंगार से मानव-जीवन हर्षोल्लास से पूर्ण हो जाता है […]
मैत्रेयी पुष्पा का उपन्यास चाक जहॉं उनके उपन्यास इदन्नमम का प्रगतिशील विस्तार है, वहीं अपने में स्वतंत्र भी। गांव के समाज में नारी की पीड़ा तथा उसके संघर्ष को वर्णित […]
गोदान के संदर्भ में दो मुख्यत: बातें सामने आती हैं। एक 1936 में प्रकाशित मुंशी प्रेमचंद का जग जाहिर उपन्यास गोदान और दूसरा मत्यु के उपरान्त वैतरणी पार करने के […]
केदारनाथ अग्रवाल की कविता सौन्दर्यबोध के संबंध में हिन्दी काव्य परम्परा में विशिष्ट प्रकार का प्रस्थानबिन्दु उपस्थित करती है। केदारनाथ अग्रवाल तथा अन्य प्रगतिशील कवियों की सौन्दर्य चेतना ने तो […]
‘टीवी में दृश्य नहीं बोलते’- यह पढ़कर आपको अटपटा लग रहा होगा, आपको कुछ अजीब लग रहा होगा क्योंकि टीवी यानी टेलीविजन तो दृश्य माध्यम ही है जिसमें चलती-फिरती-घूमती तस्वीरें […]
भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास में इलाहाबाद का स्थान कुछ गिने-चुने नामों में आता है|प्राचीन धार्मिक इतिहास में इसे देवराज प्रयाग कहा जाता रहा है|गंगा,यमुना और अदृश्य सरस्वती का […]