
स्त्री को बेदिमाग या ‘इमोशनल फूल’ कहकर उसकी निंदा करना बहुत ही उपहासास्पद है। या यूं कहना कि उनमें दिमाग ही नहीं होता, यह केवल समाज की संकीर्ण मानसिकता ही […]

स्त्री को बेदिमाग या ‘इमोशनल फूल’ कहकर उसकी निंदा करना बहुत ही उपहासास्पद है। या यूं कहना कि उनमें दिमाग ही नहीं होता, यह केवल समाज की संकीर्ण मानसिकता ही […]

कुछ विद्यार्थी इन दिनों बेहद याद आते हैं। कुछ माह पहले मुझे टेल बोन फ्रैक्चर हुआ, डॉ० ने तीन माह के लिए बेड रेस्ट के लिए कहा। कॉलेज जॉइन करना […]

वर्तमान फेसबुक,वाट्सअप,इंस्ट्राग्राम ने टीवी,वीडियो गेम्स, रेडियो आदि को लॉकडाउन में चाहने लगे।कहने का मतलब है कि दिन और रात इसमें ही लगे रहते हैं । यदि घर पर मेहमान आते हैं […]

समय की मांग कहो या संस्कृति का स्वाभिमान वह अब लौट रहा है। भारत अब लौट रहा है । वह स्वयभू होने को है। हाँ, हाँ! वह स्वयंभू पहले से […]

सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मा कश्चिद् दुःख भागभवेत..। हमारे देश में ईश्वर से प्रार्थना के दौरान इस श्लोक का पाठ भी किया जाता है। और […]

हर दिन कुछ मिनट बड़ा बदलाव ला सकते हैं। सामान्यतः लोगों के लिए अपने दिन से समय निकालना मुश्किल होता है लेकिन हमें इस तरह की अनावश्यक बहानों से बचना […]

हिंदी साहित्य और डायरी लेखन का आरंभ भामह नाम के आचार्य ने ‘सहित’ शब्द का प्रयोग 6 वीं शताब्दी में पहली बार किया था,उनके अनुसार जो कुछ भी रचनाएं कविता,पद्य,गद्य […]

मानव-जीवन पर प्रकृति के प्रत्येक व्यापार का अनुकूल एवं प्रतिकूल प्रभाव पड़ना अत्यंत स्वाभाविक है। बसंत ऋतु में प्रकृति के चुतन शृंगार से मानव-जीवन हर्षोल्लास से पूर्ण हो जाता है […]

मैत्रेयी पुष्पा का उपन्यास चाक जहॉं उनके उपन्यास इदन्नमम का प्रगतिशील विस्तार है, वहीं अपने में स्वतंत्र भी। गांव के समाज में नारी की पीड़ा तथा उसके संघर्ष को वर्णित […]

गोदान के संदर्भ में दो मुख्यत: बातें सामने आती हैं। एक 1936 में प्रकाशित मुंशी प्रेमचंद का जग जाहिर उपन्यास गोदान और दूसरा मत्यु के उपरान्त वैतरणी पार करने के […]