
संपादकीय डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय बातों – बातों में विदेशी पूंजी निवेश से भाषाई भगवाकरण का खतरा बढ़ा है मीडिया में (प्रख्यात कथाकार कमलेश्वर जी से मुहम्मद जाकिर हुसैन की बातचीत) […]
संपादकीय डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय बातों – बातों में विदेशी पूंजी निवेश से भाषाई भगवाकरण का खतरा बढ़ा है मीडिया में (प्रख्यात कथाकार कमलेश्वर जी से मुहम्मद जाकिर हुसैन की बातचीत) […]
इंदिरा गांधी नहीं गायत्री देवी से प्रेरित होकर मैनें लिखी थी ‘आंधी’ बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी कमलेश्वर की 27 जनवरी को 14वीं पुण्यतिथि है। 6 जनवरी, 1932 को उत्तरप्रदेश के […]
काव्य में अकथ्य की कथनीयता और मौन का निनाद वर्ण्य विषय के भावपक्ष को पुष्ट करने वाले प्रधान तत्व हैं। शायद यही कारण है कि कविता गोचर जगत के अन्तर्मन […]
रीति कविता राजाओं और रईसों के आश्रय में पली है। यह एक स्वात: प्रमाणित सत्य है की उनकी अन्तःप्रेरणा और स्वरूप को कवियों और उनके आश्रयदाता दोनों के संबंध से […]
आज रंगमंच के क्षेत्र में भारतीय स्त्रियों ने जो मुकाम हासिल किया है, वह उसे एकाएक नहीं प्राप्त हो गया बल्कि यह शिखर उसके कई वर्षों के संघर्षों का परिणाम […]
भारतीय इतिहास में 19वीं सदी को पुनर्जागरण, पुनरुत्थान, नवजागरण आदि नामों से अभिहित किया गया। डॉ॰ लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय और रामधारी सिंह दिनकर ने क्रमश: ‘नवोत्थान’ व ‘पुनरुत्थान’ नामकरण किया है। […]
फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ जी मुंशी प्रेमचन्द के बाद के युग में आधुनिक हिन्दी साहित्य के सबसे सफल और प्रभावशाली लेखकों में गिने जाते थे। किसी भी साहित्यकार पर लेखनी चलाने से […]
सही अर्थों में मनुष्य वही है जिसके मन में अन्य प्राणियों के प्रति दया का भाव हो तथा जो आजीवन धर्म के मार्ग पर अडिग रहे। मानवता ही मनुष्य की […]
जब यह महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया जाता है कि ‘साहित्य क्यों’ तब इस प्रश्न के उत्तर में ऐसे संदर्भ की कल्पना हम करते हैं जहाँ लेखक अपनी ज़िंदगी की मेहनत को […]
प्रस्तुत लेख में समकालीन कविता के बहाने वर्तमान समाज के नए पण को दर्शाया गया है। हम इस बात से परिचित हो जायेंगे कि किस प्रकार हम इतिहास, धर्म-दर्शन एवं […]