
अनुक्रमणिका संपादकीय डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय शोधार्थी प्रेमचंद की कहानी ‘लांछन’ में अभिव्यक्त जेंडर परफॉर्मेटिविटी और नैतिक पुलिसिंग – जयकृष्णन एम. ‘गोदान उपन्यास ग्राम-जीवन और कृषि-संस्कृति का सशक्त महाकाव्य है’ […]
अनुक्रमणिका संपादकीय डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय शोधार्थी प्रेमचंद की कहानी ‘लांछन’ में अभिव्यक्त जेंडर परफॉर्मेटिविटी और नैतिक पुलिसिंग – जयकृष्णन एम. ‘गोदान उपन्यास ग्राम-जीवन और कृषि-संस्कृति का सशक्त महाकाव्य है’ […]
प्रेमचन्द : समाज का दर्पण और साहित्य का शिल्पी हिंदी साहित्य की दुनिया में यदि किसी लेखक को यथार्थ का सबसे सशक्त और व्यापक चित्रकार कहा जाए तो वह मुंशी […]
शोध सारांश मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘लांछन’ एक महिला आश्रम की पृष्ठभूमि में रची गई एक ऐसी कहानी है, जो जेंडर भूमिकाओं, सामाजिक अपेक्षाओं और व्यक्तिगत शक्ति की जटिलताओं को […]
‘गोदान’ मुंशी प्रेमचंद का अंतिम पूर्ण उपन्यास है, जिसमें ग्राम जीवन और कृषि संस्कृति का चित्रण किया गया है। ‘होरी’ कृषक जीवन का प्रतिनिधित्व करता है। होरी का जीवन आर्थिक […]
हिंदी साहित्य अनेक विधाओं से समृद्ध साहित्य माना जाता है। विशेष रूप से हिंदी कथा साहित्य की चर्चा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में जिनके कारण होती है […]
हिंदी साहित्य में मुंशी प्रेमचंद ऐसे अद्वितीय साहित्यकार हैं, जिन्हें पढ़ने के लिए किसी विशेष विषय या पृष्ठभूमि की आवश्यकता नहीं होती। वे जनमानस के लेखक हैं, जिनकी रचनाओं में […]
प्रेमचंद के विपुल साहित्य में से किसी एक बिंदु पर बात करना समुद्र-मंथन जैसी ही क्रिया है। उसमें से एक बूँद भी निकाल लेना बहुत महत्त्व की बात है। प्रेमचंद […]
प्रेमचंद जनवादी चेतना तथा मानवतावादी दृष्टि के प्रतिनिधि साहित्यकार हैं। हिंदी कथा-साहित्य में मुंशी प्रेमचंद कथा सम्राट नाम से अभिहित है। हिंदी कथा-साहित्य अर्थात साहित्य की कहानी और उपन्यास इन […]
मुंशी प्रेमचंद साहित्य जगत का ऐसा नाम है जिनकी रचनाएं समाज का दर्पण है। प्रेमचंद लेखक और मनुष्य दोनों ही रूपों में महान हैं। प्रेमचंद हिन्दी के पहले उपन्यासकार नहीं […]
“जिन वृक्षों की जड़ें गहरी होती हैं, उन्हें बार-बार सींचने की जरूरत नहीं होती।” कर्मभूमि हिन्दी साहित्य जगत का अरूणिम आकाश बगैर धनपतराय श्रीवास्तव की सुनहरी आभा के […]